भाइयों और बहनों,
स्वतंत्रता
की 63वीं
वर्षगाँठ
पर
सभी
प्रदेशवासियों
को
हार्दिक
शुभकामनाएँ।
असंख्य
शहीदों
के
बलिदान
और
देशवासियों
के
त्याग
से
हमने
आज के
दिन
स्वतंत्रता
प्राप्त
की
थी।
मैं
स्वतंत्रता
संग्राम
के
सभी
वीर
सपूतों
को
नमन
करता
हूँ।
देश
की
स्वतंत्रता
की
वर्षगाँठ
उल्लास
और
उमंग
के
साथ
आत्म-विश्लेषण
का भी
अवसर
है।
यह
अतीत
से
सीख
लेकर
वर्तमान
को
संवारने
और
सुखद
भविष्य
के
निर्माण
की
संकल्पना
का
अवसर
है।
हमें
जनता
का,
जनता
के
लिये,
जनता के
द्वारा
शासन
की
अवधारणा
को
मूर्त
रूप
देने
के
निरंतर
प्रयत्न
करते
रहना
होगा।
देश
की
स्वतंत्रता
का
अर्थ
सिर्फ
गुलामी
से
आजाद
होना
नहीं
बल्कि
सामाजिक,
आर्थिक
और
नैतिक
विकास
के
रास्ते
पर
निर्बाध
आगे
बढ़ते
रहना
है।
अंतिम
पंक्ति
का
अंतिम
व्यक्ति
हमारा
दरिद्रनारायण
है,
जिसके
कल्याण
की
चिंता
हमारी
सर्वोच्च प्राथमिकता
है।
मुझे
खुशी
है कि
मध्यप्रदेश
में
प्रजा
और
तंत्र
के
रिश्तों
को
मजबूती
तथा
लोगों
की
तरक्की
और
खुशहाली
के
कामों
को
निरंतरता
मिली
है।
हम
जनता
की
सामूहिक
शक्ति
को
प्रदेश
के
विकास
में
लगाने
और
सरकार
के
साथ समाज
को
साथ
लेकर
समृद्ध
मध्यप्रदेश
बनाने
की
कोशिश
जारी
रखेंगे।
हमने
प्रदेश
के
स्थापना
दिवस 1
नवंबर,
2009 से 'आओ
बनायें
अपना
मध्यप्रदेश'
अभियान
शुरू
किया
है।
यह
अपने
प्रदेश
के
लोगों
में
विकास
की
सामूहिक
जागृति
पैदा
करने
का
प्रयास
है।
मेरी
मान्यता
है कि
सरकार
और
समाज
के
संयुक्त
प्रयास
से ही
सर्वांगीण
विकास
का
लक्ष्य
हासिल
किया
जा
सकता
है।
हमारा
गाँव,
हमारा
नगर
बनेगा
तो
प्रदेश
बनेगा।
इस
अभियान
के
माध्यम
से
पानी
रोकने,
बिजली
का
अपव्यय
बंद
करने,
स्वच्छता
रखने,
नशामुक्ति,
पेड़
लगाने,
सभी
बच्चों
को
स्कूल भेजने,
परिवार
नियोजन,
आँगनवाड़ी
के
नियमित
संचालन
और
टीकाकरण
जैसे
जनहितैषी
कार्यों
से
लोगों
को
जोड़ा
जा
रहा
है।
मुझे
प्रसन्नता
है 'आओ
बनायें
अपना
मध्यप्रदेश'
अभियान
को
आपका
सक्रिय
सहयोग
मिला
है।
अब
प्रदेश
में
सरकार
के
साथ
समाज
का
जुड़ाव
एक
सामाजिक
आंदोलन
का
रूप
ले
रहा
है।
राज्य
सरकार
ने
प्रदेश
को
विकसित
और
समृद्ध
बनाने
के
संकल्प
को
पूरा
करने
के
लिए
सात
प्राथमिकताएँ-
खेती
को
लाभ
का
धंधा
बनाना,
अधोसंरचना
विकास,
निवेश
वृद्धि,
शिक्षा
और
स्वास्थ्य,
महिलाओं
और
कमजोर
वर्गों
का
सशक्तिकरण,
कानून-व्यवस्था और
सुशासन
निर्धारित
की
हैं।
स्वर्णिम
मध्यप्रदेश
की
संकल्पना
को
साकार
करने
के
लिए
मई 2010
में
विधानसभा
का
विशेष
सत्र
आहूत
किया
गया।
विधानसभा
सदस्यों
के
जमीनी
अनुभवों
के
आधार
पर
मध्यप्रदेश
के
निर्माण
का 70
सूत्रीय
संकल्प
पारित
किया
गया।
इस
संकल्प
को
पूरा
करने
की
दिशा
में
नये
कार्यक्रमों
और
योजनाओं
का
क्रियान्वयन
शुरू
हो
चुका
है।
राज्य
सरकार
के
प्रयासों
से अब
मध्यप्रदेश
की
पहचान
विकासशील
प्रदेश
के
रूप
में
बनी
है।
यह
हमारे
कुशल
वित्तीय
प्रबंधन
का ही
परिणाम
है कि
इस
वर्ष
प्रदेश
की
आर्थिक
विकास
दर 8.67
प्रतिशत
रही
जो
राष्ट्रीय
विकास
दर 6.7
प्रतिशत
से
ज्यादा
है।
अब
इसे
प्रतिवर्ष
9 से 10
प्रतिशत
तक
करने
का
लक्ष्य
है।
कृषि,
प्रदेश
की
अर्थव्यवस्था
की
रीढ़
है।
खेती
को
लाभ
का
धंधा
बनाने
के
लिए
सहकारी
कृषि
ऋणों
की
ब्याज
दर को
तीन
प्रतिशत
करने
वाला
देश
का
पहला
राज्य
मध्यप्रदेश
है।
गेहूँ
और
चावल
के
न्यूनतम
समर्थन
मूल्य
के अलावा
हम
किसानों
को
बोनस
दे
रहे
हैं।
परंपरागत
खेती
के
अतिरिक्त
जैविक
खेती,
औषधीय,
फूलों
और
सब्जियों
के
उत्पादन
के
साथ
खाद्य
प्रसंस्करण
इकाइयों
की
स्थापना
को
प्रोत्साहन
दिया
जा
रहा
है।
अगले
तीन
सालों
में
उद्यानिकी फसलों
के
रकबे
में 5
लाख
हैक्टेयर
की
वृद्धि
का
लक्ष्य
है।
आदिवासी
बहुल
क्षेत्रों
में
कोदो-कुटकी
के
उत्पादन
को
बढ़ाने
और
उसके
विपणन
को
बेहतर
करने
के
प्रयास
किये
जाएँगे।
किसानों
को दी
जाने
वाली
सब्सिडी
की
राशि
अब
सीधे
उनके
खातों
में
जमा
करने
का
निर्णय
लिया
गया
है।
सभी
पात्र
किसानों
को
क्रेडिट
कार्ड
दिए
जा
रहे
हैं।
वैज्ञानिक
कृषि
के
लिये
मृदा
स्वास्थ्य
पत्रक
भी
तैयार
किये जायेंगे।
राज्य
सरकार
की
भण्डारण
क्षमता
में
वृद्धि
तथा
विपणन
व्यवस्था
सुदृढ़
कर
प्रदेश
को
लाजिस्टिक
हब के
रूप
में
विकसित
किया
जायेगा।
पशुधन
विकास
खेती
का
अभिन्न
अंग
है।
प्रदेश
के
चिन्हित
विकासखण्डों
में
चलित
पशु
चिकित्सालय
शुरू
करने
के
साथ
ही
संभागीय
पशु
औषधालयों
को
पाली-क्लीनिक
का
स्वरूप
दिया
जा
रहा
है।
दुग्ध
समितियों
के
विस्तार
के
साथ
नये
मिल्क रूट
भी
विकसित
किये
जायेंगे।
मछली
पालन
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
किसान
क्रेडिट
कार्ड
के
समान
तीन
प्रतिशत
की दर
पर
सुलभ
ऋण
उपलब्ध
कराने
के
लिए
मछुआरा
क्रेडिट
कार्ड
दिए
जाएँगे।
नदियों
और
अन्य
स्रोतों
के जल
के
वैज्ञानिक
आधार
पर
दोहन
की
योजना
बनायी
जा
रही
है।
आगामी
चार
वर्ष
में
सिंचाई
की
स्थापित
क्षमता
में
साढ़े
सात
लाख
हैक्टेयर
की
वृद्धि
करने
का
लक्ष्य
है।
प्रदेश
को
आवंटित
नर्मदा जल के
वर्ष
2020 तक
शत-प्रतिशत
उपयोग
की
समयबद्ध
योजना
तैयार
की जा
रही
है।
सिंचाई
की
स्थापित
क्षमता
के
समुचित
उपयोग
के
लिये
कमाण्ड
एरिया
डेव्हलपमेंट
प्रोग्राम
सहित
सभी
कारगर
उपाय
किये
जा
रहे
हैं।
जलाभिषेक
अभियान
में
जन
भागीदारी से जल
संरक्षण
का
वृहद
कार्य
किया
जा
रहा
है।
देश
की
तेरह
फीसदी
वन
संपदा
अकेले
हमारे
प्रदेश
में
है।
वनों
के
संरक्षण
के
साथ
ही
हरियाली
महोत्सव
के
जरिये
प्रदेश
की वन
संपदा
में
बढ़ोत्तरी
करने
के
प्रयास
निरंतर
जारी
हैं।
इस
वर्ष
बाँस
के 5
करोड़
पौधे
रोपे जा
रहे
हैं।
वन
आधारित
रोजगार
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
वनों
में
टसर
और
लाख
का
उत्पादन
तथा
चारागाह
का
विकास
भी
किया
जा
रहा
है।
तेंदूपत्ता
संग्रहण
की दर
को
बढ़ाकर
650
रुपये
प्रति
मानक
बोरा
किया
गया है।
प्रदेश
को
बिजली
के
क्षेत्र
में
आत्म-निर्भर
बनाने
के
तेज
प्रयास
जारी
हैं।
पिछले
छह
साल
में
बिजली
उत्पादन
की
स्थापित
क्षमता
में 3162
मेगावाट
की
अभूतपूर्व
वृद्धि
के
बाद
अब
वर्ष
2013 तक
वर्तमान
क्षमता
में
लगभग
5000
मेगावाट
की वृद्धि
का
लक्ष्य
रखा
गया
है।
सभी
नगरों
और
गाँवों
में 24
घंटे
बिजली
की
उपलब्धता
और
कृषि
कार्यों
के
लिए
न्यूनतम
8 घंटे
बिजली
देने
के
लिए
फीडर
विभक्तिकरण
का
प्रदेशव्यापी
महत्वाकांक्षी
कार्यक्रम
शुरू
कर
दिया
गया
है।
दिसंबर 2012 तक
इस
काम
को
पूरा
किये
जाने
का
लक्ष्य
है।
बिजली
का
उत्पादन
बढ़ाने
के
लिये
ऊर्जा
उत्पादन
के
नये
और
गैर
परम्परागत
साधनों
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
भी
अनुकूल
व्यवस्थाएँ
की जा
रही
हैं।
इस
उद्देश्य
से
नवीन
एवं
नवीकरणीय
ऊर्जा
विभाग
की
स्थापना
की गई
है।
प्रदेश
के राजगढ़
जिले
में
देश
का
प्रथम
सौर
ऊर्जा
पार्क
स्थापित
किया
जा
रहा
है।
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
पेयजल
व्यवस्था
के
सुधार
के
लिए
मुख्यमंत्री
पेयजल
योजना
लागू
की गई
है।
इस
वर्ष
प्रत्येक
ग्रामीण
विधानसभा
क्षेत्र
के
पाँच
ग्रामों
में
स्पाट
सोर्स
स्थापित
किये
जाएँगे।
एक
हजार
हैंडपंप
मैकेनिक
मानदेय
के
आधार
पर नियुक्त
किये
जा
रहे
हैं।
सरकार
का
प्रयास
है कि
सभी
को
पर्याप्त
पेयजल
मिले
और
उसे
लाने
के
लिए
दूर
भी न
जाना
पड़े।
इसलिए
पेयजल
प्रदाय
के 40
लीटर
प्रति
व्यक्ति
प्रतिदिन
के
मापदण्ड
को
बढ़ाकर
55 लीटर
तथा
पेयजल
स्रोत की
दूरी
का
मानदण्ड
1.6 कि.मी.
से
घटाकर
500 मीटर
किया
गया
है।
प्रत्येक
ग्राम
के
विकास
की
योजना
बनाने
का
फैसला
किया
गया
है।
अगले
तीन
साल
में
भवनविहीन
ग्राम
पंचायतों
के
भवन
बनाने
का
लक्ष्य
है।
आवास
की
समस्या
को हल
करने
के
लिए
मुख्यमंत्री
ग्रामीण
आवास
मिशन
स्थापित
किया
जाएगा। पुनर्वास
नीति
का
समग्र
पुनरीक्षण
कर
किसानों
के
हितों
का
संरक्षण
सुनिश्चित
किया
गया
है।
प्रदेश
में
पिछले
छह
वर्षों
में 60
हजार
किलोमीटर
से
अधिक
लंबाई
की
सड़कें
बनी
हैं।
अब
प्रदेश
के
संभाग
मुख्यालयों
को 4
लेन
और
जिला
मुख्यालयों
को 2
लेन
सड़कों
से
जोड़ा
जा
रहा
है।
वर्ष
2013 तक
प्रदेश
के
सभी
ग्रामों को
बारहमासी
सड़कों
से
जोड़ने
के
उद्देश्य
से
मुख्यमंत्री
सड़क
योजना
लागू
की
गयी
है।
सुव्यवस्थित
विकास
के
लिए
प्रदेश
के
सभी
नगरों
की
नगर
विकास
योजना
बनाई
जा
रही
है।
नगरीय
क्षेत्रों
के
विकास
के
लिये
अधोसंरचना
बोर्ड
का
गठन
किया
जा
रहा
है।
शहरी
गरीबों
के
लिए
लगभग 60
हजार
आवास
बन
रहे हैं।
इंदौर
में
नर्मदा
जल
प्रदाय
का
तृतीय
चरण
पूरा
हो
गया
है।
सभी
नगरीय
निकायों
को
फायर
ब्रिगेड
की
बेहतर
सुविधा
भी
जल्दी
ही
उपलब्ध
करवा
दी
जायेगी।
भोपाल
और
इंदौर
में
मेट्रो
ट्रेन
के
लिए
सर्वे
करवाया जायेगा।
नयी
उद्योग
संवर्धन
नीति-2010
का
प्रारूप
जारी
किया
जा
चुका
है।
इस
नीति
को और
अधिक
उद्योग
हितैषी
बनाया
गया
है।
पिछले
साल 27
बड़े
उद्योग
स्थापित
हुए
हैं।
वर्तमान
में 46
हजार
करोड़
की
लागत
की
विभिन्न
परियोजनाएँ
निर्माणाधीन
हैं। दिल्ली-मुम्बई
कारिडोर
के
अतिरिक्त
भोपाल-इन्दौर,
भोपाल-बीना,
जबलपुर-कटनी-सिंगरौली
औद्योगिक
कारिडोर
के
योजनाबद्ध
विकास
के
प्रयास
भी
जारी
हैं।
प्रदेश
में
स्थापित
होने
वाले
उद्योगों
में
सृजित
रोजगार
में 50
प्रतिशत
रोजगार
प्रदेशवासियों
को
उपलब्ध
करवाना
अनिवार्य
किया
गया
है। नियमित
रोजगार
मेलों
का
आयोजन
कर
युवाओं
को
रोजगार
उपलब्ध
करवाने
में
उल्लेखनीय
सफलता
मिल
रही
है।
प्रदेश
में
बड़े
पैमाने
पर
रोजगारोन्मुखी
शिक्षा
और
प्रशिक्षण
सुविधाओं
का
विस्तार
किया
जा
रहा
है।
आई.टी.आई.
की
संख्या
में
वृद्धि
करने
के
साथ
ही
उनमें
वर्तमान
जरूरतों
के
अनुरूप
पाठ्यक्रम
शुरू
किये
जाने
की
योजना
है।
आई.टी.आई.
की
सीट
संख्या
को
बढ़ाकर
एक
लाख
किया
जायेगा।
इससे
युवाओं
को
रोजगारपरक
शिक्षा
मिलने
के
साथ
ही
उद्योगों
को
उनकी
जरूरत
के
अनुसार
दक्ष
और
कुशल
मानव
संसाधन
स्थानीय
तौर
पर ही
उपलब्ध
हो
सकेगा।
कारीगरों
के
कौशल
उन्नयन की
नीति
को
इसी
साल
से
लागू
कर
प्रतिवर्ष
5 से 10
हजार
श्रमिकों
को
लाभान्वित
किया
जाएगा।
नेशनल
स्किल
डेव्हलपमेंट
मिशन
के
उद्देश्यों
की
पूर्ति
के
लिये
प्रदेश
में
व्यावसायिक
शिक्षा
और
प्रशिक्षण
परिषद
गठित
की गई
है।
खेतिहर
और
निर्माण
मजदूर,
शहरी
घरेलू
कामकाजी
बहनें,
कोटवार,
कारीगर,
मंडी
हम्माल,
तुलावटी,
साईकिल-रिक्शा
और
हाथठेला
चालक
जैसे
जरूरतमंद
वर्गों
के
कल्याण
की
योजनाएँ
बनाकर
उन्हें
सामाजिक
सुरक्षा
प्रदान
की जा
रही
है।
इन
कार्यक्रमों
के
अंतर्गत
समय
पर सहायता
उपलब्ध
कराने
तथा
भिन्नताओं
को
दूर
करने
के
लिए
एक
समेकित
रणनीति
तैयार
की जा
रही
है।
गरीबों
को
स्थल
पर
सहायता
उपलब्ध
कराने
के
लिए
गरीब
मेलों
का
आयोजन
किया
जायेगा।
राज्य
सामान्य
निर्धन
वर्ग
कल्याण
आयोग
की
अनुशंसाओं
के
आधार
पर
सामान्य
निर्धन
वर्ग
के
बच्चों
को
छात्रवृत्ति
उपलब्ध
कराई
जा
रही
है।
इन
बच्चों
को नि:शुल्क
पाठ्य
पुस्तकें
भी
उपलब्ध
कराई
जा
रही
हैं।
अनुसूचित
जनजातियों
और
अनुसूचित
जातियों
के
कल्याण
का
कार्य
वृहद
स्तर
पर
किया
जा
रहा
है।
अनुसूचित
जनजाति
और
अन्य
परंपरागत
वन
निवासी
अधिनियम
के
अंतर्गत
अब तक 1
लाख 24
हजार
अधिकार-पत्र
मान्य
कर
मध्यप्रदेश,
देश
में
अग्रणी
बना
हुआ है।
कपिलधारा
योजना
से
लाभान्वित
इन
वर्गों
के
किसानों
को
सिंचाई
के
लिये
डीजल-विद्युत
पंप
उपलब्ध
करवाए
जा
रहे
हैं।
प्रदेश
के 89
आदिवासी
विकासखंडों
में
लागू
चलित
चिकित्सालय
योजना
को अब 35
अनुसूचित
जाति
बहुल
विकासखण्डों
में
भी
लागू
किया जायेगा।
विशेष
भर्ती
अभियान
के
तहत
अब तक
प्रदेश
में
अनुसूचित
जनजाति,
अनुसूचित
जाति
तथा
अन्य
पिछड़ा
वर्ग
के 27
हजार
से
अधिक
बैकलॉग
पदों
की
पूर्ति
की जा
चुकी
है।
पिछड़े
वर्गों
के
कल्याण
के
लिए
उनकी
शिक्षा
संबंधी
योजनाओं
का
विस्तार
किया
गया
है।
अगले
तीन
साल
में
सभी
जिलों
में
पिछड़े
वर्गों
के
लिए 100
सीटर
पोस्ट
मैट्रिक
बालक
छात्रावास
स्थापित
किये
जाएँगे।
मेधावी
विद्यार्थियों
के
लिये
नयी
पुरस्कार
योजना
बनायी
गयी
है।
रोजगार
उन्मुखी
प्रशिक्षण
योजना
को भी
व्यापक
स्वरूप
देकर
इस
साल 5000
युवाओं
को
प्रशिक्षित
किया
जा
रहा
है।
अल्पसंख्यक
वर्ग
के
विद्यार्थियों
को भी
प्रदेश
में
प्री-मैट्रिक,
पोस्ट
मैट्रिक,
मेरिट
कम
मीन्स
छात्रवृत्ति
का लाभ
दिया
जा
रहा
है।
प्रदेश
में
संस्थागत
प्रसव
में
बढ़ोत्तरी,
पोषण
पुनर्वास
केन्द्रों
तथा
नवजात
शिशु
गहन
चिकित्सा
इकाइयों
की
स्थापना
की
सर्वत्र
सराहना
हो
रही
है।
शिशु
और
मातृ
मृत्यु
दर
में
भी
उल्लेखनीय
कमी
आई
है।
सागर
में
नया
चिकित्सा
महाविद्यालय
आरंभ
करने
के
बाद
अब
जबलपुर
में
चिकित्सा
विश्वविद्यालय
स्थापित
किया
जायेगा।
चिकित्सकों
और
अन्य
स्वास्थ्य
कर्मचारियों
की
उपलब्धता
में
निरंतर
सुधार
हो
रहा
है।
आमजन
के
जीवन
स्तर
में
तेजी
से
सुधार
तथा
सभी
को
अच्छी
शिक्षा
और
स्वास्थ्य
सुविधा
प्रदान
करने
के
लिए
जनसंख्या
वृद्धि
पर
नियंत्रण
आवश्यक
है।
यह
जनजागृति
से ही
संभव
है।
इस
उद्देश्य
से
प्रदेश
में
यह
वर्ष
परिवार नियोजन
वर्ष
के
रूप
में
मनाया
जा
रहा
है।
राज्य
सरकार
कुपोषण
के
कलंक
को
मिटाने
के
लिए
प्रतिबद्ध
है।
इस
लक्ष्य
की
पूर्ति
के
लिए
अटल
बाल
आरोग्य
और
पोषण
मिशन
गठित
करने
का
निर्णय
लिया
गया
है।
प्रदेश
में
बाल
अधिकार
संरक्षण
आयोग
भी
स्थापित
किया जा
चुका
है।
महिला
सशक्तिकरण
के
क्षेत्र
में
प्रदेश
में
आरंभ
की गई
योजनाओं
को
अन्य
राज्यों
द्वारा
भी
अपनाया
जा
रहा
है।
लाड़ली
लक्ष्मी
योजना
के
अंतर्गत
लगभग
छह
लाख
से
ज्यादा
बालिकाएँ
लाभान्वित
हो
चुकी
हैं।
मुख्यमंत्री
कन्यादान
योजना
निर्धन परिवारों
की
बेटियों
के
लिए
वरदान
साबित
हुई
है।
अब इस
योजना
की
हितलाभ
राशि
7500 से
बढ़ाकर
10 हजार
रुपये
कर दी
गई
है।
स्थानीय
निकायों
में
आधे
पद
महिलाओं
के
लिए
आरक्षित
करने
के
फैसले
के
फलस्वरूप
आज 50
प्रतिशत
से
अधिक बहनें
निर्वाचित
होकर
अपनी
पंचायत
और
नगर
के
विकास
में
जुटी
हैं।
शिक्षा
की
सुविधाओं
को सब
तक
पहुँचाने
का
कार्य
प्रगति
पर
है। 'स्कूल
चलें
हम'
अभियान
को
निरंतरता
देने
के
साथ
ही
करीब 1
करोड़
10 लाख
विद्यार्थियों
को
जुलाई
2010 तक
नि:शुल्क
पाठ्यपुस्तकें
वितरित
की गई
हैं।
इस
साल
लगभग 2
लाख
बालिकाओं
को नि:शुल्क साइकिलें
दी जा
रही
हैं।
प्रदेश
में
प्राथमिक
एवं
माध्यमिक
शिक्षा
के
लोकव्यापीकरण
के
बाद
अब
आवश्यकतानुसार
प्रत्येक
पाँच
किलोमीटर
के
दायरे
में
हाई
स्कूल
की
स्थापना
का
लक्ष्य
है।
छात्र
संख्या
के
मान
से
प्रशिक्षित
शिक्षकों
की
उपलब्धता सुनिश्चित
की
जायेगी।
यह
गर्व
की
बात
है कि
अब
हमारे
खिलाड़ी
राष्ट्रीय
ही
नहीं
बल्कि
अंतर्राष्ट्रीय
स्तर
पर भी
प्रदेश
का
नाम
रोशन
कर
रहे
हैं।
भारत
सरकार
द्वारा
प्रदेश
को
हाल
ही
में
राष्ट्रीय
खेल
प्रोत्साहन
अवार्ड
से
सम्मानित
किया
गया
है। पायका
योजना
के
जरिये
खेल
सुविधाओं
का
विस्तार
पंचायत
स्तर
तक
किया
जा
रहा
है।
राज्य
खेल
प्राधिकरण
स्थापित
करने
का भी
निर्णय
लिया
गया
है।
पर्यटन
के
क्षेत्र
में
मध्यप्रदेश
ने
अपनी
नयी
पहचान
बनाई
है।
प्रदेश
में
आने
वाले
पर्यटकों
की
संख्या
में
आशातीत
वृद्धि
हुई
है।
जल और
साहसिक
पर्यटन
संबंधी
गतिविधियों
को
बढ़ावा
देने
की नई
नीति
बनायी
गई
है।
पर्यटकों
के
लिए सर्वाधिक
आकर्षण
वाला
प्रदेश
बनाने
का
काम
निरंतर
जारी
रहेगा।
संस्कृति
के
क्षेत्र
में
प्रदेश
की
अपनी
पहचान
है।
राम
वन-गमन
और
नर्मदा
परिक्रमा
पथ के
विकास
का
काम
भी
प्रगति
पर
है।
बुंदेली,
मालवी,
निमाड़ी,
बघेली,
बैगा,
भीली,
कोरकू
और
गोंडी
जैसी
बोलियों
के
विकास
और
संरक्षण
का
कार्य किया
जा
रहा
है।
मेलों
और
बड़े
धार्मिक
समागमों
के
सुचारु
आयोजन
के
लिए
तीर्थ
एवं
मेला
विकास
प्राधिकरण
गठित
किया
जायेगा।
वर्ष
2016 में
उज्जैन
में
सिंहस्थ
के
आयोजन
संबंधी
तैयारियों
के
लिए
इसी
वर्ष
में
बजट
प्रावधान किया
जाएगा।
राजा
भोज
के
राज्यारोहण
के 1000
वर्ष
पूर्ण
होने
के
उपलक्ष्य
में
वृहद
आयोजन
किये
जायेंगे।
भोपाल
गैस
पीड़ितों
के
समग्र
कल्याण
के
प्रति
राज्य
सरकार
प्रतिबद्ध
है।
उनके
चिकित्सा,
आर्थिक
एवं
सामाजिक
पुनर्वास
के
कार्यों
में
और
गति
लाई
जा
रही
है।
गैस
पीड़ित
विधवा
बहनों
को
जीवन
पर्यन्त
500
रुपये
प्रतिमाह
पेंशन
की व्यवस्था
की गई
है।
इस
त्रासदी
के
लिए
उत्तरदायी
व्यक्तियों
को
कड़ी
सजा
दिलाने
के
लिए
सभी
आवश्यक
विधि
मान्य
कदम
उठाये
जा
रहे
हैं।
सरकार
समाज
के
सहयोग
से
प्रदेश
में
शांति
का
वातावरण
बनाए
रखने
में
सफल
रही
है।
हमने
नक्सलवाद
एवं
आतंकवादी
गतिविधियों
से
प्रदेश
को
मुक्त
रखने,
सिमी
के
नेटवर्क
को
ध्वस्त
करने
और
दस्यु
उन्मूलन
की
प्रभावी
कार्रवाई
की है।
भू-माफियाओं,
अवैध
वन
कटाई,
अवैध
खनिज
उत्खनन,
बिजली
चोरी,
बाहुबलियों
एवं
संगठित
अपराध
के
विरुद्ध
कठोर
कानूनी
कार्यवाही
का
अभियान
प्रदेश
में
जारी
है और
आगे
भी
जारी
रहेगा।
हमने
जनसंख्या
वृद्धि
के
अनुपात
में
पुलिस
बल
में
वृद्धि का
फैसला
लिया
है।
इस
साल 1500
पद
स्वीकृत
किये
गये
हैं।
प्रदेश
की
औद्योगिक
इकाइयों
की
सुरक्षा
के
लिए
राज्य
औद्योगिक
सुरक्षा
बल भी
गठित
किया
जा
रहा
है।
सरकार
हर
नागरिक
के
वैधानिक
अधिकारों
के
संरक्षण
के
लिए
प्रतिबद्ध है।
पारदर्शी
प्रशासन
स्थापित
करने
के
लिए
सूचना
प्रौद्योगिकी
का
निरंतर
विस्तार
किया
जा
रहा
है।
समाधान
ऑन
लाइन,
समाधान
एक
दिन,
लोक
कल्याण
शिविर,
परख,
जन
सुनवाई
जैसे
कार्यक्रमों
से जन
समस्याओं
का
प्रभावी
निराकरण
हुआ
है।
एकीकृत
वित्तीय सूचना
प्रबंध
प्रणाली
स्थापित
की जा
रही
है।
पहली
बार
सभी
स्तर
के
शासकीय
सेवकों
के
लिये
अचल
सम्पत्ति
का
विवरण
देना
अनिवार्य
कर
उसे
ऑन
लाइन
भी
किया
गया
है।
जवाबदेह
और
संवेदनशील
प्रशासन
स्थापित
करने
की
दिशा
में
लोक
सेवाओं
के
प्रदान
की
गारंटी
अधिनियम
महत्वपूर्ण
कदम
है।
सरकार
ने
प्रदेश
के
नागरिकों
को
चिन्हित
सेवाओं
जैसे-आय
एवं
जाति
प्रमाण-पत्र,
खसरा
नकल,
राशन
कार्ड
आदि
को
निर्धारित समय-सीमा
में
प्राप्त
करने
का
कानूनी
अधिकार
प्रदान
किया
है।
निश्चित
की गई
समय-सीमा
में
सेवाएँ
प्रदान
न
करने
पर
लोक
सेवकों
को
दण्डित
करने
का
प्रावधान
किया
गया
है।
आम
आदमी
को
ऐसा
कानूनी
अधिकार
देने
वाला
मध्यप्रदेश
देश का
पहला
राज्य
है।
इस
अधिनियम
के
प्रभावी
क्रियान्वयन
के
लिए
अब
सरकार
में
पृथक
से
नया 'लोक
सेवा
प्रबंधन'
विभाग
स्थापित
किया
जाएगा।
आइये
इस
पावन
दिवस
पर हम
सब
प्रदेश
को
समृद्ध
एवं
विकसित
बनाने
का
संकल्प
लें।
ऐसा
प्रदेश
जहाँ
हर
नागरिक
अपने
कर्मक्षेत्र
में
कर्तव्यों
का
ईमानदारी
से
निर्वहन
करे।
ऐसा
प्रदेश
जहाँ
सरकार
और
समाज
की
सामूहिक
शक्ति
विकास और सब
लोगों
के
कल्याण
को
समर्पित
हो।
आप
सबको
पुन:
हार्दिक
शुभकामनाएँ।
धन्यवाद।
जयहिन्द।