प्रिय बहनो और भाइयों,
स्वतंत्रता
की 61वीं
वर्षगांठ
पर
मैं
प्रदेश
के
सभी
नागरिकों
को
बहुत
बहुत
बधाई
एवं
शुभकामनाएं
देता
हूं।
आजादी
हमें
बहुत
सी
खुशियां
और
अधिकार
देती
है
लेकिन
बदले
में
वह
हमसे
एक ही
चीज
मांगती
है -
लगातार
जागरूकता।
जिस
आजादी
के
पौधे
को
हमारे
स्वतंत्रता
सेनानियों
ने
अपने
रक्त
से
सींचा,
उसे
पुष्पित
और
पल्लवित
करने
के
लिए
हमें
सतत
सजग
रहना
होगा।
हमारे
शास्त्र
कहते
हैं -
यतेमहि
स्वराज्ये
- कि
स्वराज्य
को
हमेशा
अर्जित
करते
रहना
पड़ता
है।
आजादी
हमारा
जन्मसिद्ध
अधिकार
है,
लेकिन
उसका
बना
रहना
कर्म-सिद्ध
है।
आज के
दिन
हम
आजादी
के
शहीदों
को
कृतज्ञतापूर्वक
स्मरण
करते
हैं।
हमारी
बहादुर
सेनाओं
ने
स्वाधीन
भारत
की
रक्षा
में
दिन
रात
जिस
कर्तव्यपरायणता
और
देश
भक्ति
का
परिचय
दिया
है, वह
हम सब
के
लिये
गर्व
की
बात
हैं।
आंतरिक
एवं
बाह्य
देश
के
सभी
दुश्मनों
से
हमें
सुरक्षित
रखने
का
दायित्व
उन्होने
पूरी
मुस्तैदी
से
निभाया
है।
उन्होने
अपना
कर्त्तव्य
पूरा
किया,
अब
हमारा
भी
कर्त्तव्य
है कि
हम
अनवरत
उनकी
शहादत
का
पुण्य
स्मरण
करें
। इसी
उद्देश्य
से
भोपाल
में
एक
वार
मेमोरियल
के
निर्माण
का
निर्णय
लिया
गया
है।
यह
मेमोरियल
न
केवल
उनका
स्मरण
हमें
कराता
रहेगा
बल्कि
हमें
और
भावी
पीढ़ियों
को
देश
के
लिये
सर्वस्व
न्यौछावर
करने
की
सतत
प्रेरणा
देता
रहेगा।
आजादी,
मेरी
नजर
में,
बेहतर
होने
के
लिए
मिला
मौका
है।
हमारी
सरकार
ने
अपने
शासनकाल
में
प्रदेश
की
अधोसंरचना
को ही
बेहतर
नहीं
बनाया,
बल्कि
आम
नागरिक
की
जिन्दगी
में
भी
बेहतरी
लाने
की
कोशिशें
की
हैं।
आज
महिलाएं,
किसान,
वनवासी,
अनुसूचित
जाति,
कारीगर,
कोटवार,
खिलाड़ी,
लघु
उद्यमी,
नि:शक्तजन
आदि
पूरे
आत्मविश्वास
से
अपनी
बात
मुख्यमंत्री
निवास
में
बुलाई
गई
पंचायतों
में
कहते
हैं।
आजाद
भारत
के
इतिहास
में
अब तक
की यह
सबसे
बड़ी
और
अनूठी
कवायद
है
जिसमें
शासन
के
सैंकड़ों
नीतिगत
निर्णय
आम
आदमी
ने तय
किए
हैं।
हमारी
सरकार
में 'लोक'
को 'तंत्र'
का
पिछलग्गू
नहीं
रहने
दिया
गया।
बल्कि
उसने
तंत्र
के
स्वरूप
और
स्वभाव
को,
उसकी
दिशा
और
गति
को
निर्धारित
किया।
जनदर्शन
कार्यक्रम
के
तहत
इसी
जनशक्ति
का
इस्तेमाल
योजनाओं
के
क्रियान्वयन
की
निगरानी
के
लिए
हुआ। 'लोक'
ने
यदि 'तंत्र'
की
शिकायत
की तो
तुरत
सुधारात्मक
कदम
उठाए
गए
क्योंकि
हमारे
लिए
जनवाणी
ही
देववाणी
है।
अधोरचना
की
बेहतरी
में
सबसे
पहले
मैं
बिजली
का
उल्लेख
करना
चाहूंगा।
विगत
साढ़े
चार
वर्षों
में
राज्य
शासन
द्वारा
प्रदेश
में
विद्युत
उपलब्धता
बढ़ाने
तथा
विद्युत
प्रदाय
की
गुणवत्ता
में
सुधार
के
लिए
विशेष
प्रयास
किये
गये
हैं।
इस
अवधि
में
प्रदेश
में
कुल 3147
मेगावॉट
नई
उत्पादन
क्षमता
स्थापित
की गई
जबकि
पूर्व
के
लगभग 50
वर्षों
में
मात्र
2991
मेगावॉट
क्षमता
स्थापित
की गई
थी।
उक्त
अवधि
में
विद्युत
प्रदाय
में
लगातार
सुधार
किया
गया
तथा
वर्ष
2007-08 में
कुल 35800
मिलियन
यूनिट
विद्युत
प्रदाय
की गई
जो कि
वर्ष
2002-03 में
प्रदाय
की गई
27100
मिलियन
यूनिट
से
लगभग 32
प्रतिशत
अधिक
है।
इसी
तरह 2007-08
में
कुल 6684
मेगावॉट
अधिकतम
मांग
की
आपूर्ति
की गई
जो कि
वर्ष
2002-03 के 4652
मेगावॉट
की
तुलना
में 44
प्रतिशत
अधिक
है।
पारेषण
प्रणाली
में
उक्त
अवधि
में 68
प्रतिशत
की
बढ़ोतरी
की गई
और
वोल्टेज
में
सुधार
के
साथ-साथ,
ट्रांसमिशन
हानियों
का
स्तर
वर्ष
2002-03 के
लगभग
आठ
प्रतिशत
से
घटाकर
4
प्रतिशत
के
स्तर
पर
लाया
गया।
वितरण
ट्रांसफार्मरों
के
बेहतर
रखरखाव
तथा
विगत 3
वर्षों
में
लगभग
30,000
वितरण
ट्रांसफार्मरों
की
स्थापना
के
फलस्वरूप
ट्रांसफार्मर
खराबी
की दर
को 24 से
कम कर 14
प्रतिशत
तक
लाया
गया
है।
कैप्टिव
पावर
इकाइयों
पर
लगने
वाले
उपकर
को
पूर्णत:
समाप्त
किया
गया
है।
किसानों
के
लिए
बिजली
दरों
में
भारी
कमी
की
गई।
पिछले
दो
वर्षों
में
करीब 17
लाख
अस्थाई
कनेक्शन
भी
दिये
गये
हैं।
कृषक
राहत
योजना
के
अंतर्गत
लगभग
तीन
लाख
कृषि
पंप
उपभोक्ता
लाभान्वित
किये
गये
हैं।
सड़कों
के
सुधार
और
निर्माण
पर
सरकार
ने जो
व्यापक
कार्य
किया
है वह
अनेक
मायनों
में
ऐतिहासिक
है।
पांच
सालों
की
अवधि
में 40
हजार
किलोमीटर
सड़कों
का
निर्माण
अथवा
उन्नयन
किया
गया
है।
लगभग 3
हजार 700
किलोमीटर
सड़कों
का
डामरीकरण
किया
गया
है।
मध्यप्रदेश
सम्पूर्ण
भारत
में
सड़क
निर्माण
के
क्षेत्र
में
निजी
पूंजी
निवेश
के
तहत
सर्वाधिक
कार्य
करने
वाला
प्रदेश
है।
प्रधानमंत्री
ग्राम
सड़क
योजना
के
क्रियान्वयन
में
मध्यप्रदेश
लगातार
अग्रणी
बना
हुआ
है।
सिंचाई
सुविधाओं
का
तीव्र
गति
से
हुआ
विस्तार
भी
हमारे
लिए
गौरव
का
विषय
है।
वर्ष
2003-04 में
जल
संसाधन
विभाग
का
बजट
लगभग 700
करोड़
रुपये
होता
था
जिसमें
हमने
प्रतिवर्ष
इजाफा
किया
और
विगत
वर्ष
2007-08 में
इसे
दुगने
से
अधिक
करते
हुए
लगभग
1500
करोड़
रुपये
तक
पहुंचाया।
इसी
तरह
वर्ष
2003-04 तक
सिंचाई
क्षमता
में
प्रतिवर्ष
वृद्धि
की
वार्षिक
दर
लगभग 50
हजार
हेक्टेयर
होती
थी
जिसे
हमने
अब
लगभग
एक
लाख
हेक्टेयर
तक कर
दिया
है।
सम्पूर्ण
ग्यारहवीं
पंचवर्षीय
योजना
में
लगभग
10,000
करोड़
रुपयों
का
प्रावधान
तथा
सात
लाख
हेक्टेयर
अतिरिक्त
सिंचाई
क्षमता
निर्मित
करने
का
लक्ष्य
रखा
गया
है।
वर्ष
1998-2003 में
राज्य
सरकार
द्वारा
296 नई
लघु
सिंचाई
योजनाओं
को
प्रशासकीय
स्वीकृति
प्रदान
की गई
थी।
हमने
पांच
वर्ष
से भी
कम
अवधि
में 1147
लघु
सिंचाई
योजनाओं
की
प्रशासकीय
स्वीकृति
प्रदान
की है
जिनकी
कुल
लागत
लगभग
2000
करोड़
रुपये
और
कुल
रूपांकित
वार्षिक
सिंचाई
क्षमता
लगभग
दो
लाख
हेक्टेयर
है।
वित्तीय
संसाधनों
के
जुटाने
से
अपूर्ण
परियोजनाओं
के
कार्य
में
गति
आई है
एवं
इसके
अच्छे
परिणाम
भी
मिलने
प्रारम्भ
हो
गये
हैं।
राजघाट
परियोजना
का
नहर
निर्माण
कार्य
पूर्ण
हो
गया
है
तथा 1,21,450
हैक्टेयर
क्षेत्र
में
सिंचाई
क्षमता
निर्मित
हुई
है।
बाणसागर
बांध
का
निर्माण
पूर्ण
किया
जा
चुका
है,
जिससे
लगभग
50,000
हैक्टेयर
क्षेत्र
में
सिंचाई
क्षमता
निर्मित
की जा
चुकी
है
तथा
परियोजना
से 425
मेगावॉट
पनबिजली
का
उत्पादन
प्रारम्भ
हो
गया
है।
सिंध
योजना
(द्वितीय
चरण)
के
अंतर्गत
मड़ीखेड़ा
बांध
पूर्ण
कर
लिया
गया
है और
वहां
से 60
मेगावॉट
बिजली
का
उत्पादन
प्रारम्भ
हो
गया
है ।
खेत
तालाब
योजना,
कुंओं
आदि
से भी
एक
बड़ी
और
विकेन्द्रित
सिंचाई
क्षमता
पनपी
है।
नर्मदा
घाटी
के
समग्र
विकास
के
लक्ष्य
को
ध्यान
में
रखते
हुए
वृहद
सिंचाई
और जल
विद्युत
योजनाओं
के
निर्माण
को
गति
दी गई
है।
निर्मित
और
निर्माणाधीन
परियोजनाओं
से
विगत
पाँच
वर्ष
की
अवधि
में
एक
लाख 53
हजार
हैक्टेयर
सिंचाई
क्षमता
और 2356
मेगावॉट
जल
विद्युत
क्षमता
निर्मित
कर ली
गई
है।
वर्ष
2007-08 में
आदिवासी
बहुल
धार
जिले
को 984
हैक्टेयर
सिंचाई
लाभ
पहुंचाने
वाली
शहीद
चन्द्रशेखर
आजाद (जोबट)
परियोजना
का
निर्माण
पूरा
किया
गया
है।
हमारी
अर्थव्यवस्था
का
मुख्य
आधार
किसान
हैं।
हमने
खेती
को
अधिक
से
अधिक
लाभकारी
बनाने
के
सतत
प्रयास
किये
हैं।
प्रदेश
में
कृषकों
से
सीधा
संवाद
स्थापित
करने
के
लिए
भोपाल
में
किसान
महापंचायत
का
आयोजन
किया
गया।
हमने
सिंचाई
जल के
समुचित
उपयोग
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
स्प्रिंकलर,
ड्रिप
एवं
रेनगन
पर
विभिन्न
योजनाओं
में
दिये
जाने
वाले
अनुदान
के
अतिरिक्त
राज्य
शासन
द्वारा
30
प्रतिशत
अतिरिक्त
अनुदान
देने
की
व्यवस्था
की
है।
अब
पांच
घन
मीटर
क्षमता
तक के
बायोगैस
संयंत्र
के
निर्माण
पर
भारत
सरकार
की ओर
से
दिए
जाने
वाले
अनुदान
के
अतिरिक्त
2500
रुपये
प्रति
संयंत्र
का
अनुदान
राज्य
शासन
दे
रहा
है।
प्रदेश
के
समस्त
313
विकासखण्डों
में
एक-एक
किसान
ज्ञान
केन्द्र
की
स्थापना
कर
उन्हें
कम्प्यूटर
एवं
इंटरनेट
की
सुविधा
देने
का
निर्णय
लिया
गया
है
ताकि
कृषकों
को
कृषि
की
आधुनिकतम
तकनीकों
की
जानकारी
उपलब्ध
हो
सके।
सामान्य
वर्ग
के
कृषकों
को भी
नलकूप
खनन
एवं
पम्प
की
स्थापना
के
लिए 24,000
रुपये
की
सहायता
देने
का
निर्णय
लिया
गया
है।
बलराम
तालाब
के
निर्माण
पर
कृषकों
को
दिया
जाने
वाला
अनुदान
50 हजार
से
बढ़ाकर
80 हजार
रुपये
किया
गया
है।
लघु
एवं
सीमान्त
किसानों
को
डीजल
अथवा
बिजली
के
पम्प
खरीदने
के
लिए 50
प्रतिशत,
अधिकतम
10 हजार
रुपये
का
अनुदान
देने
का
बड़ा
निर्णय
लिया
गया
है।
एक
अप्रैल
2008 से
सहकारी
बैंकों
के
माध्यम
से
किसानों
को
दिये
जाने
वाले
कृषि
ऋण पर
ब्याज
की दर
सात
प्रतिशत
से
घटाकर
पाँच
प्रतिशत
कर दी
गई
है।
प्रदेश
की 2094
प्राथमिक
कृषि
साख
सहकारी
संस्थाओं
को 605
करोड़
रुपये
की
आर्थिक
सहायता
उपलब्थ
कराई
गई
है।
वर्ष
2003-04 में
साख
सहकारी
संस्थाओं
के
माध्यम
से 1274
करोड़
रुपये
का
अल्पकालीन
फसल
ऋण
किसानों
को
वितरित
किया
गया
था।
वर्ष
2007-08 में
लगभग
ढाई
गुना
3194
करोड़
रुपये
का ऋण
वितरित
किया
गया
है।
इस
वर्ष
किसानों
को 4500
करोड़
रुपये
का
अल्पकालीन
ऋण
वितरण
किये
जाने
का
लक्ष्य
है।
किसानों
को
सहकारी
संस्थाओं
से ऋण
सुविधा
आसानी
से
उपलब्ध
हो
सके,
इसके
लिए
अब तक
लगभग 31
लाख
क्रेडिट
कार्ड
उपलब्ध
कराये
गये
हैं।
किसानों
के
हित
में
खाद्य
प्रसंस्करण
नीति
इस
वर्ष
जारी
की गई
है।
प्रदेश
के 18
जिलों
में
राष्ट्रीय
कृषि
विकास
योजना
आरम्भ
की गई
है।
हमने
किसानों
को
उनकी
उपज
का
उचित
मूल्य
दिलाने
के
उद्देश्य
से
गेहँू
खरीदी
पर 100
रुपये
प्रति
क्विंटल
अतिरिक्त
बोनस
के
रूप
में
दिये
हैं।
इस
वर्ष
प्रदेश
में
रिकार्ड
मात्रा
में
कृषकों
से 23
लाख 31
हजार
मेट्रिक
टन
गेहूँ
खरीदा
गया।
प्राकृतिक
विपदाओं
से
पीड़ित
किसानों
को 344
करोड़
रुपये
की
राशि
वितरित
की गई
है।
उल्लेखनीय
है कि
इन
विपदाओं
में
मेरी
सरकार
ने
सूखे
को भी
शामिल
करने
का
अभूतपूर्व
कदम
उठाया
और
सूखे
से
लड़ते
हुए
हमारे
किसानों
को 156
करोड़
रुपये
की
राहत
राशि
बांटी
वरना
पहले
किसान
की
फसल
सूख
जाती
थी और
वह
मोहताज
भटकता
था।
वन्यप्राणियों
के
द्वारा
फसल
नुकसान
की
हालत
में
भी
हमने
राहत
देने
का
अनूठा
कदम
उठाया।
हमारा
लक्ष्य
है कि
प्रदेश
का
किसान
खेती
करते
हुये
गौरवान्वित
एवं
लाभान्वित
महसूस
करे।
प्रदेश
के
मजदूर,
शिल्पी,
कारीगर
और
कलाकार
हमारे
प्रदेश
की
धरोहर
हैं।
हमने
मजदूरों
के
लिए
नयी
श्रम
नीति
घोषित
की
है।
अब 'मुख्यमंत्री
मजदूर
सुरक्षा
योजना'
के
तहत
मजदूर
परिवारों
में
बच्चा
होने
के
समय
महिला
के
प्रसव
का
खर्च
सरकार
देगी,
साथ
ही
डेढ़
माह
की
मजदूरी
के
बराबर
पैसा
महिला
को
प्रसव
के
समय
मिलेगा।
यही
नहीं
महिला
का
पति
उसका
ध्यान
रखे
इसके
लिए
उसे
भी
आधे
महीने
का
पैसा
बिना
काम
के
दिया
जायगा।
इन
मजदूरों
के
बच्चों
की
पढ़ाई
के
लिए
पहली
कक्षा
से ही
वजीफा
और
शादी
ब्याह
में
मदद
का
इंतजाम
भी इस
योजना
में
है।
ग्रामीण
भूमिहीन
मजदूरों
के
लिए
इसी
साल
अप्रैल
से आम
आदमी
बीमा
योजना
शुरू
की गई
है।
असंगठित
क्षेत्र
के
निर्माण
मजदूरों
के
कल्याणार्थ
184
करोड़
रुपये
की
राशि
उपकर
के
रूप
में
जमा
हुई
है।
उनके
लिए
आठ
कल्याणकारी
योजनाएं
संचालित
की गई
हैं।
लम्बे
अंतराल
के
बाद
न्यूनतम
वेतन
का
पुनरीक्षण
किया
गया
है।
हथकरघा
बुनकरों
को
बेहतर
स्वास्थ्य
सेवाएं
उपलब्ध
कराने
के
लिए
जहां
हमने
स्वास्थ्य
बीमा
योजना
में 21368
बुनकरों
तथा 6
हजार
शिल्पियों
का
बीमा
कराया
है,
वहीं
परम्परागत
शिल्पियों
को
प्रोत्साहित
करने
के
लिए
विश्वकर्मा
पुरस्कार
स्थापित
किये
गये
हैं।
शिल्पियों
एवं
बुनकरों
को
औजार
उपकरण
के
लिए
दी
जाने
वाली
सहायता
की
अधिकतम
सीमा
दुगुनी
से
अधिक
कर दी
गई
है।
कला
मंडलियों
को
वाद्य
यंत्र
खरीदने
के
लिए
साढ़े
17
करोड़
रुपये
की
राशि
प्रावधानित
की गई
है।
सफाई
कामगार
आयोग
और
माटी
कला
बोर्ड
का भी
गठन
किया
गया
है।
प्रदेश
के
गरीब
लोगों
के
लिए
राज्य
सरकार
मंहगाई
के
विरूद्ध
ढाल
बनकर
खड़ी
है।
मुख्यमंत्री
अन्नपूर्णा
योजना
के
अंतर्गत
तीन
रुपये
किलो
की दर
से
गेहूँ
और
साढ़े
चार
रुपये
की दर
से
चावल
हर
गरीब
परिवार
को 20
किलो
प्रतिमाह
प्रति
राशनकार्ड
पर
उपलब्ध
कराया
जा
रहा
है।
मंहगाई
राज्य
सीमा
के
अंतर्गत
नहीं
है।
किन्तु
राज्य
सरकार
गरीबों
की
खाद्य
सुरक्षा
के
लिए
अपने
बजट
से इस
योजनान्तर्गत
255
करोड़
रुपये
व्यय
कर
रही
है।
हमने
प्रदेश
को
आयातित
लाल
गेहूँ
से भी
मुक्त
कराया।
राष्ट्रीय
ग्रामीण
रोजगार
गारंटी
योजना
के
क्रियान्वयन
में
मध्यप्रदेश
इस
साल
भी
देश
में
अग्रणी
रहा।
इस
योजना
के
अंतर्गत
एक
करोड़
से
अधिक
लोगों
को
जाब
कार्ड
वितरित
किये
जा
चुके
हैं।
योजना
के
अंतर्गत
एक
लाख 58
हजार 128
कार्य
पूर्ण
कराये
जा
चुके
हैं
और दो
लाख 66
हजार 172
कार्य
प्रगतिरत
हैं।
जिला
गरीबी
उन्मूलन
योजना
प्रदेश
के 14
जिलों
के 2900
ग्रामों
में
क्रियान्वित
की गई
है
जिसमें
56 हजार
88 समूह
लाभान्वित
हुए
हैं।
सामान्य
वर्गों
के
निर्धन
लोगों
की
बेहतरी
के
लिए
एक
आयोग
बनाकर
तेजी
से
काम
किया
गया
है।
आयोग
की
सिफारिशों
के
अनुरुप
प्रथम
चरण
में
सामान्य
वर्ग
के
निर्धन
बच्चों
की
शिक्षा
के
लिये
स्कूली
और
उच्च
शिक्षा
स्तर
से
लेकर
व्यावसायिक
पाठ्यक्रमों
के
लिये
अनेक
छात्रवृत्ति
योजनाएं
इसी
शिक्षा
सत्र
से
लागू
की गई
हैं।
निर्धन
वर्ग
के
प्रतिभाशाली
बच्चों
को
उच्च
शिक्षा
के
लिये
बैंक
ऋण
प्राप्त
करने
में
आने
वाली
दिक्कतों
को
दूर
करने
के
लिये
उच्च
शिक्षा
ऋण
गारंटी
कोष
भी
स्थापित
किया
गया
है।
इस
वर्ग
के
बच्चों
को अब
पहली
से 12वीं
कक्षा
तक नि:शुल्क
पाठ्य-पुस्तकें
भी
उपलब्ध
करवायी
जा
रही
हैं।
अनुसूचित
जनजाति
और
अन्य
परम्परागत
वन
निवासी
(वन
अधिकारों
की
मान्यता)
अधिनियम
के
क्रियान्वयन
में
हम
देश
के
राज्यों
में
सर्वप्रथम
है।
हम
आदिवासियों
के
सामान
और
सम्मान
की
वापसी
के
लिए
प्रतिबद्ध
हैं।
मैंने
मण्डला
से इस
अधिनियम
के
अंतर्गत
वनवासियों
को
अधिकार
पत्र
सौंपने
की
शुरूआत
की
है।
जहां
अन्य
राज्यों
में
इसका
प्रारम्भिक
चरण
भी
नहीं
पूरा
हो
पाया
है,
वहां
मध्यप्रदेश
में
अधिकार
पत्र
सौंपना
शुरू
हो
गया
है।
सरकार
चाहती
है कि
गरीब
आदिवासी
जिस
जमीन
पर
पीढ़ियों
से
काबिज
हैं
उस पर
उन्हें
रहने
और
जीविकोपार्जन
का हक
मिले।
गंभीर
वन
अपराध
प्रकरणों
को
छोड़कर
सभी
वन
अपराध
प्रकरण
वापस
लिये
जा
रहे
हैं
और
जप्त
किए
हल,
बख्खर,
बैलगाड़ी
के
पहिए
जैसे
सामान
आदिवासियों
को
वापस
किए
जा
रहे
हैं।
तेंदूपत्ता
संग्रहण
काल 2008
के
लिए
संग्रहण
दर 550
रुपये
प्रति
मानक
बोरा
की गई
है जो
गत
वर्ष
की
तुलना
में 100
रुपये
अधिक
है।
उनके
लिए
बोनस
की
राशि,
जो
संग्रहण
वर्ष
में
अर्जित
शुद्ध
लाभ
की
राशि
का 50
प्रतिशत
थी,
वर्ष
2007 से
बढ़ाकर
60
प्रतिशत
कर दी
गई।
साल
बीज
के
संग्रहण
पर
लगी
रोक
भी
हटा
ली गई
है और
संग्रहण
दर 450
रुपये
प्रति
क्विंटल
को
बढ़ाकर
एक
हजार
रुपये
प्रति
क्विंटल
कर
दिया
गया
है।
अनुसूचित
जनजाति
की नई
पीढ़ी
को
उत्कृष्ट
शैक्षणिक
सुविधाएं
उपलब्ध
कराना
हमारा
लक्ष्य
है।
हमारे
शासनकाल
में
कन्या
साक्षरता
योजना
में
लाभान्वित
छात्राएं
और
उन्हें
दी गई
राशि
दुगुनी
हो गई
है।
गणवेश
प्रदाय
करने
में
हमने
चौगुनी
धनराशि
स्वीकृत
की
है।
कक्षा
9 एवं 10
में
अध्ययनरत
छात्र-छात्राओं
की
वार्षिक
छात्रवृत्ति
दुगुनी
कर दी
गई है
और 11वीं
व 12वीं
के
छात्रावासी
विद्यार्थियों
की
अतिरिक्त
छात्रवृत्ति
दुगुनी
से भी
ज्यादा
कर दी
गई
है।
मेडिकल
एवं
इंजीनियरिंग
पाठ्यक्रमों
के
लिए
छात्रावासी
विद्यार्थियों
के
निर्वाह
भत्ते
की दर
भी
दुगुनी
से
ज्यादा
कर दी
गई
है।
प्रदेश
के 11
आदिवासी
बहुल
जिलों
के
अनुसूचित
जनजाति
परिवारों
की
आजीविका
के
लिए
लगभग 75
करोड़
रुपये
की
लागत
की
कामधेनु
एकीकृत
आदिवासी
डेयरी
विकास
योजना
लागू
की गई
है।
अनुसूचित
जाति
वर्ग
के
विकास
एवं
अस्पृश्यता
निवारण
के
लिए
उत्कृष्ट
कार्य
करने
वाली
ग्राम
पंचायतों
को
पुरस्कार
की
राशि
5,000
रुपये
से
बढ़ाकर
एक
लाख
रुपये
की गई
है।
अस्पृश्यता
निवारण
को
प्रोत्साहित
करने
के
उद्देश्य
से
अंतर्जातीय
विवाह
करने
वाले
दम्पत्तियों
को
प्रोत्साहन
राशि
10,000
रुपये
से
बढ़ाकर
50,000
रुपये
की गई
है।
वर्तमान
शिक्षा
सत्र
में
अनुसूचित
जाति
के
छात्र-छात्राओं
को और
अधिक
शैक्षणिक
आवासीय
सुविधा
देने
के
लिए 60
नवीन
छात्रावास
प्रारम्भ
किए
गए
हैं।
इसी
प्रकार
विमुक्त
जाति,
घुमक्कड़
एवं
अर्धघुमक्कड़
जातियों
के
बालक-बालिकाओं
के
लिए 51
नवीन
छात्रावास
संचालित
किए
गए
हैं।
अनुसूचित
जाति
के
छात्रावासी
विद्यार्थियों
को दी
जाने
वाली
शिष्यवृत्ति
की
राशि
में
वृद्धि
की गई
है।
अब
बालिकाओं
को 360
रुपये
के
स्थान
पर 525
रुपये
एवं
बालकों
को 350
रुपये
के
स्थान
पर 500
रुपये
दिए
जा
रहे
हैं।
कक्षा
9वीं
एवं 10वीं
में
अध्ययनरत
अनुसूचित
जाति
वर्ग
के
विद्यार्थियों
की
छात्रवृत्ति
में
दोगुना
वृद्धि
कर दी
गई
है।
इसी
प्रकार
कक्षा
11वीं
की
कन्या
साक्षरता
प्रोत्साहन
योजना
में 2,000
रुपये
से
बढ़ाकर
3,000
रुपये
की
राशि
दी
जायेगी।
हमारी
सरकार
ने
अनुसूचित
जातियों
तथा
जनजातियों
के
लिए
पिछले
पांच
वर्षों
में
बजट
में
लगभग
तीन
गुना
वृद्धि
की
है।
वर्ष
2002-03 में
अनुसूचित
जाति
उपयोजना
में
जहां
कुल
प्रावधान
717
करोड़
रुपये
था
उसे
बढ़ाकर
वर्ष
2008-09 में
2180
करोड़
रुपये
किया
गया।
इसी
प्रकार
आदिवासी
उपयोजना
मद
में
वर्ष
2002-03 में
जहां
कुल
प्रावधान
1263
करोड़
रुपये
था
उसे
वर्ष
2008-09 में
बढ़ाकर
3142
करोड़
रुपये
किया
गया
है।
कल
राखी
है।
पिछले
कुछ
सालों
में
हमने
लगातार
कोशिशें
की
हैं
कि
हमारी
माताओं
और
बहनों
का
जीवन
स्तर
सुधरे।
हमारी
कोशिश
रही
है कि
बेटियों
को
बोझ
मानने
वाली
प्रवृत्ति
खत्म
हो और
उन्हें
वरदान
की
तरह
स्वीकारा
जाये।
इसलिए
हमने
उनके
हक
में
एक के
बाद
एक
ऐसी
योजनाएं
आरम्भ
की
हैं
जो आज
देशभर
में
अनेक
राज्यों
के
द्वारा
भी
अपना
ली
गईं
हैं।
लाड़ली
लक्ष्मी
योजना
के
अंतर्गत
71 हजार
बालिकाओं
को
लाभान्वित
किया
गया
है।
मुख्यमंत्री
कन्यादान
योजना
के
अंतर्गत
73 हजार
से
अधिक
शादियां
हुई
हैं।
आंगनबाड़ी
में
पोषण-आहार
के
लिए
बजट
में
पिछले
तीन
सालों
के
भीतर
तीन
गुनी
वृद्धि
हुई
है।
महिलाओं
तथा
बच्चों
को
घरेलू
हिंसा
के
विरूद्ध
संरक्षण
एवं
सहायता
के
लिए
नवीन
उषा
किरण
योजना
प्रारम्भ
की गई
है।
महिलाओं
के
लिए
लगभग 161
करोड़
रुपये
की
तेजस्विनी
ग्रामीण
महिला
सशक्तिकरण
योजना
शुरू
की गई
है।
पैंतीस
वर्ष
के
इतिहास
में
पहली
बार
दलिया
के
स्थान
पर
बीस
तरह
की
भोजन
सामग्री
आंगनबाड़ी
केन्द्रों
में
प्रदाय
की जा
रही
है।
हमारे
गोद
भराई,
अन्न
प्राशन,
जन्मदिवस
एवं
किशोर
बालिका
दिवस
कार्यक्रमों
की
सराहना
भारत
सरकार
के
द्वारा
भी की
गई।
हमने
लगभग 20
हजार
नवीन
आंगनबाड़ी
केन्द्र
स्वीकृत
किए
हैं।
आंगनबाड़ी
कार्यकर्ताओं,
सहायिकाओं
को
पहली
बार
राज्य
मद से
क्रमश:
1000 एवं 500
रुपये
देने
का
निर्णय
लिया
गया
है।
प्रदेश
के
ग्रामीण
अंचलों
में
रहने
वाली
सामान्य
निर्धन
महिलाओं
को
आजीविका
के
सुनिश्चित
अवसर
प्रदाय
करने
की
दृष्टि
से
आचार्य
विद्यासागर
गोसंवर्धन
योजना
प्रारम्भ
की जा
रही
है,
जिसमें
प्रत्येक
महिला
हितग्राही
को
उन्नत
भारतीय
नस्ल
की दो
दुधारू
गाय व
प्रशिक्षण
आदि
प्रदान
किया
जायगा।
महिलाओं
की
बेहतरी
के
लिए
हमारी
प्रतिबद्धता
इसी
बात
से
प्रकट
होती
है कि
पिछले
चार
सालों
में
महिला
एवं
बाल
विकास
विभाग
का
हमारा
बजट
दुगुने
से भी
अधिक
हो
गया
है।
हमने
प्रदेश
के
विकास
में
महती
भूमिका
का
निर्वाह
करने
वाले
शासकीय
कर्मचारियों
के
कल्याण
के
लिए
लगातार
अपनी
गम्भीर
प्रतिबद्धता
दिखाई
है।
हमने
राज्य
वेतन
आयोग
का
गठन
किया
है।
प्रशासकीय
अमला
लगातार
जनता
से
जुड़े,
इस
दृष्टि
से
उन्हें
देय
वेतन
तथा
अन्य
लाभ
में
लगातार
सुधार
लाने
का
प्रयास
किया
गया
है,
किन्तु
आम
नागरिक
को
प्राप्त
होने
वाली
सुविधाओं
में
भी
अनवरत
रूप
से
सुधार
हो, यह
मैंने
कभी
आँखों
से
ओझल
नहीं
होने
दिया
है। ई-गर्वनेंस
के
माध्यम
से
नागरिक
सुविधाएं
उपलब्ध
कराने
के
लिए 9232
कामन
सर्विस
सेंटर
इसी
उद्देश्य
से
स्थापित
किये
जा
रहे
हैं।
प्रदेश
के
युवा
प्रदेश
का
भविष्य
हैं।
हमने
उनके
लिए
प्रदेश
में
पहली
बार
एक
सुविस्तृत
युवा
नीति
बनाई
है।
हमने
उनके
लिए
आजीविका
मिशन
भी
स्थापित
किया
है।
हमने
शासकीय
सेवाओं
में
भर्ती
पर
लगे
प्रतिबंध
को
हटाया
है।
शासकीय
नौकरियों
के
अलावा
अन्य
क्षेत्रों
में
भी
रोजगार
के
अवसरों
का
विपुल
विस्तार
किया
गया
है।
खेल,
शिक्षा,
रोजगार
जैसे
अलग-अलग
मोर्चों
पर
हमने
प्रदेश
की
युवा
शक्ति
को
स्फूर्त
किया
है।
जुलाई
2007 से
भोपाल
में 13
खेलों
की
एकेडमीज
संचालित
की
गईं
हैं।
इन
एकेडमीज
के
खिलाड़ियों
द्वारा
मात्र
एक
वर्ष
में
राज्य,
राष्ट्रीय
एवं
अन्तर्राष्ट्रीय
स्तर
पर
कुल 415
पदक
अर्जित
किये
गये
हैं
जिनमें
पाँच
अंतर्राष्ट्रीय
एवं
राष्ट्रीय
स्तर
पर 180 व
राज्य
स्तरीय
प्रतियोगिताओं
में 230
पदक
सम्मिलित
हैं।
प्रदेश
के
युवाओं
को
कम्प्यूटर
एनीमेशन
और
ट्रेवल
व
टूरिज्म
के
क्षेत्र
में
अच्छे
रोजगार
उपलब्ध
कराने
की
दृष्टि
से
प्रशिक्षणार्थियों
की
प्रवेश
क्षमता
दुगुनी
की गई
है।
साथ
ही इस
योजना
का
सम्भागीय
स्तर
पर भी
विस्तार
किया
जा
रहा
है,
जिसके
लिए
क्रमश:
सागर,
जबलपुर,
उज्जैन,
ग्वालियर,
रीवा
आदि
सम्भागों
का
चयन
किया
गया
है।
खिलाड़ियों
को दी
जा
रही
खेल
वृत्ति
अधिकतम
2,000
रुपये
वार्षिक
से
बढ़ाकर
7,000
रुपये
वार्षिक
की गई
है।
साथ
ही
अन्तर्राष्ट्रीय
ख्याति
प्राप्त
खिलाड़ियों
को दी
जा
रही
सम्मान
निधि
5,000
रुपये
मासिक
से
बढ़ाकर
10,000
रुपये
मासिक
जीवन
पर्यन्त
की गई
है।
वर्ष
2007 के
राष्ट्रीय
खेलों
की
ऐतिहासिक
सफलता
को
दृष्टिगत
रखते
हुए
राष्ट्रीय
खेलों
में
पदक
प्राप्त
करने
वालों
की
पुरस्कार
राशि
को
दुगुना
कर
दिया
गया
है।
अन्तर्राष्ट्रीय
स्तर
के
खेल
ग्राम
के
निर्माण
के
लिए
पी.पी.पी.
योजना
के
अंतर्गत
1000
करोड़
रुपये
की
लागत
से
खेल
ग्राम
का
निर्माण
भोपाल
स्थित
गांव
सतगढ़ी
में
किया
जा
रहा
है,
जिसमें
स्पोर्ट्स
साइंस
सेंटर
भी
स्थापित
करने
का
लक्ष्य
रखा
गया
है।
शिक्षा
अधोरचना
को
सुदृढ़
करने
के
लिए 25,968
शिक्षा
गारंटी
शालाओं
का
प्राथमिक
शालाओं
में
उन्नयन
और 14,564
प्राथमिक
शालाओं
का
माध्यमिक
शाला
में
उन्नयन
हुआ
है
तथा
इसी
वर्ष
1176 हाई
स्कूल,
215 हायर
सेकण्डरी
स्कूल,
2132
मिडिल
और 919
सेटेलाईट
शालाएं
स्वीकृत
की गई
है।
राज्य
के
इतिहास
में
यह
उपलब्धि
अद्वितीय
है।
इस
वर्ष
माध्यमिक
शिक्षा
मण्डल
द्वारा
आयोजित
परीक्षाओं
में
उपलब्धियों
की
दृष्टि
से
शासकीय
विद्यालयों
में
उत्तीर्ण
होने
वाले
छात्र-छात्राओं
का
प्रतिशत
निजी
क्षेत्र
के
विद्यालयों
से
बेहतर
रहा
है।
अकेले
इस
वर्ष
3500 से
अधिक
विभिन्न
स्तरों
के
विद्यालयों
को
प्रारम्भ
किया
जाकर
शिक्षा
के
क्षेत्र
में
नई
क्रांति
प्रदेश
में
लाई
जा
रही
है,
जिसके
परिणाम
आगे
आने
वाले
वर्षों
में
हमारे
युवाओं
को
बेहतर
रोजगार
के
अवसर
के
रूप
में
दिखेंगे।
मध्यप्रदेश
में
निजी
विश्वविद्यालय
अधिनियम
बनाया
गया
है
जिसके
अंतर्गत
19 निजी
विश्वविद्यालय
स्थापित
करने
के
लिए
राज्य
शासन
के
साथ
एम.ओ.यू.
हुए
हैं।
व्यावसायिक
पाठ्यक्रम
के
शुल्क
निर्धारण
के
लिए
अधिनियम
बनाने
वाला
मध्यप्रदेश
देश
के
अग्रणी
राज्यों
में
है।
गांव
की
बेटी
योजना,
प्रतिभा
किरण
योजना,
स्वामी
विवेकानन्द
केरियर
मार्गदर्शन
योजना
इसी
दिशा
में
स्थापित
हुए
नींव
के
पत्थर
हैं।
युवाओं
के
लिए
तकनीकी
शिक्षा
सुुविधाओं
का
अभूतपूर्व
विस्तार
हुआ
है।
आज
प्रदेश
में
संचालित
इंजीनियरिंग
विद्यालयों
की
संख्या
बढ़कर
142 हो
गयी
है।
प्रदेश
के आठ
शासकीय
महिला
पॉलीटेक्निक
को सह-शिक्षा
में
परिवर्धित
कर
तकनीकी
शिक्षा
के
प्रसार
को
व्यापक
बनाया
गया
है।
प्रदेश
में
स्पेशल
एजुकेशन
जोन
की एक
सर्वथा
नई
अवधारणा
के
तहत
भोपाल
संभागीय
मुख्यालय
पर
लगभग 500
एकड़
भूमि
को भी
चिन्हांकित
कर
लिया
गया
है।
अनुसूचित
जाति
एवं
जनजाति
के
विद्यार्थियों
के
लिए
आधुनिकतम
शिक्षा
देने
के
उद्देश्य
से दो
महत्वाकांक्षी
योजनाओं-
एकलव्य
एवं
डाँ.
बाबा
साहब
अम्बेडकर
योजना
के
तहत
शिक्षण
संस्थाओं
का
सुदृढ़ीकरण
किया
गया
है।
शिल्पकार
प्रशिक्षण
योजना
के
अंतर्गत
11400 के
लक्ष्य
के
विरूद्ध
वर्ष
2007 में 14216
प्रशिक्षणार्थियों
का
प्रवेश
हुआ
जबकि
इस
वर्ष
लगभग
18000
प्रशिक्षणार्थी
प्रविष्ट
हो
रहे
हैं।
चौबीस
औद्योगिक
प्रशिक्षण
संस्थाओं
का
सेंटर
आफ
एक्सीलेंस
के
रूप
में
उन्नयन
किया
जा
रहा
है।
पिछड़ा
वर्ग
के
छात्रों
के
लिए
प्रत्येक
संभागीय
स्तर
पर 100
सीटर
पोस्ट
मैट्रिक
छात्रावास
बनाए
गए
जबकि
प्रत्येक
जिला
मुख्यालय
पर
पिछड़ा
वर्ग
कन्याओं
के
लिए 50
सीटर
छात्रावास
निर्माण
की
स्वीकृति
दी
गई।
पहली
बार
अल्पसंख्यक
विद्यार्थियों
के
लिए
मेरिट
कम
मीन्स
छात्रवृत्ति
तथा
पोस्ट
मैट्रिक
का
लाभ
पहुंचाया
गया।
विमानन
विभाग
द्वारा
प्रदेश
की कई
शासकीय
हवाई
पट्टियों
को
उड्डयन
सम्बन्धी
गतिविधियां
वैसे
पायलट
प्रशिक्षण,
विमान
इंजीनियरिंग
संबंधी
प्रशिक्षण
आदि
करने
के
लिए
अनुमति
दी गई
है।
इससे
मध्यप्रदेश
के
युवक-युवतियों
को
उड्डयन
क्षेत्र
में
प्रशिक्षण
एवं
रोजगार
के
अवसर
प्राप्त
होंगे।
इसके
अतिरिक्त
शासन
द्वारा
अनुसूचित
जाति
एवं
अनुसूचित
जनजाति
के 30-30
अभ्यार्थियों
को
मानक
संस्था
के
माध्यम
से
एयर
होस्टेस
एवं
फ्लाईट
स्टीवर्ड
संबंधी
प्रशिक्षण
के
लिए
छात्रवृत्ति
दिए
जाने
का
निर्णय
लिया
गया
है।
प्रदेश
के
युवाओं
के
लिए
यह
तथ्य
बहुत
आशा
जगाता
है कि
हमारी
सरकार
का
कार्यकाल
औद्योगिक
प्रगति
का
स्वर्ण
काल
है।
निवेश
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
दिल्ली
से
शुरू
हुई
प्रदेश
की
मुहिम
ग्लोबल
इन्वेस्टर्स
समिट
इन्दौर,
जबलपुर,
सागर
और
ग्वालियर
तक
सफलता
के
अनेक
कीर्तिमान
कायम
कर
चुकी
है।
इन
मीट्स
में
मात्र
करारनामों
पर
हस्ताक्षर
नहीं
हुए
हैं
बल्कि
उनसे
संबंधित
निवेश
और
उद्योग
धरातल
पर
तेजी
से
आकार
लेने
लगे
हैं।
उद्योगों
की
स्थापना
युवाओं
के
लिये
रोजगार
के
नये
अवसरों
का
सृजन
कर
रही
है।
मैंने
जो भी
योजनाएं
बनाईं
हैं,
उनके
केन्द्र
में
आम
आदमी
को
रखा
है।
विकास
की
मेरी
नज़र
में
एक ही
कसौटी
है, वह
है आम
आदमी
के
जीवन
स्तर
में
हुई
प्रगति।
लोग
अर्थव्यवस्था
के
मानवीय
चेहरे
की
बातें
ही
करते
हैं
लेकिन
मध्यप्रदेश
में
हमने
इसे
कर
दिखलाया
है।
मध्यप्रदेश
की
प्रगति
का
मेरा
सपना
इसी
गणदेवता
की
प्रगति
का
सपना
है।
यह
युग
प्रतिस्पर्धा,
परिवर्तन
और
नवप्रवर्तन
का
युग
है,
लेकिन
एक
लोककल्याणकारी
राज्य
की
बुनियादी
प्रतिज्ञाएं
आज भी
बेमानी
नहीं
हुई
हैं।
इसी
लोकोन्मुखी
शासन -
दृष्टि
को हम
लगातार
जारी
रखने
के
लिए
कटिबद्ध
हैं।
हमारे
प्रदेश
की
प्रगति
का यह
सफर
अब
रुकने
वाला
नहीं
है।
हमारा
संकल्प
है कि
प्रदेश
के सब
वर्गों
के सब
लोगों
की
खुशहाली
सुनिश्चित
की
जाये
और
प्रदेश
को
देश
के
अग्रणी
राज्यों
की
पंक्ति
में
ला
खड़ा
किया
जाये।
कवि
के
शब्दों
में :-
उठो
कि
तुम
जवान
हो,
महान
तेजवान
हो।
कि
अंधकार
के
लिए,
मशाल
ज्योतिमान
हो।
कि हर
निशा
नवीन
स्वप्न
आँख
में
बसा
रही।
कि हर
उषा
नवीन
सिद्धि
जिन्दगी
में
ला
रही।
आइये
इस
प्रदेश
को
समृद्ध
और
खुशहाल
बनाने
के इस
यज्ञ
में
हम सब
अपना
योगदान
दें।
जय
हिन्द।