प्रिय बहनो और भाइयो,
स्वतंत्रता
की 60वीं
वर्षगांठ
पर
प्रदेश
के
नागरिकों
को
बधाई
और
शुभकामनाएं।
आज का
दिन
उन
शहीदों
और
स्वतंत्रता
संग्राम
सेनानियों
के
स्मरण
का
पुण्य
अवसर
है,
जिनके
त्याग
और
बलिदान
के
फलस्वरूप
आज हम
स्वतंत्र
राष्ट्र
के
नागरिक
हैं।
इस
अवसर
पर
मैं
प्रदेश
के
नागरिकों
की ओर
से उन
सभी
को
श्रद्धासुमन
अर्पित
करता
हूं।
मध्यप्रदेश
में 1857
मुक्ति
संग्राम
के
डेढ़
सौ
वर्ष
को
समारोहपूर्वक
मनाये
जाने
का
निर्णय
राज्य
सरकार
ने
लिया
है।
भारतीय
स्वाधीनता
संग्राम
में
मध्यप्रदेश
के
समग्र
योगदान
को
रेखांकित
करने
के
लिए
हम 50
फैलोशिप
स्थापित
कर
रहे
हैं,
ताकि
1857 के
पहले,
उस
दौरान
तथा
देश
को
आज़ादी
मिलने
तक का
लेखा-जोखा
तैयार
हो
सके।
पाँच
लाख
रूपए
की एक 'राष्ट्रीय
स्वाधीनता
फैलोशिप'
भी
स्थापित
की जा
रही
है।
हमने 10
मई, 2007
को
प्रथम
स्वतंत्रता
संग्राम
की
स्मृति
में
पूरे
प्रदेश
में
ग्राम
सभाओं
का इस
विषय-
विशेष
पर
एकाग्र
आयोजन
किया
था।
इसी
तारतम्य
में
तात्या
टोपे,
शाहजादा
फीरोज,
टंट्या
भील,
भीमा
नायक,
रानी
लक्ष्मीबाई,
वीरांगना
झलकारी,
रानी
अवंतीबाई,
सआदत
खाँ,
सदाशिव
राव
अमीन,
ठाकुर
सरजू
प्रसाद,
भगीरथ
सिलावट,
शंकरशाह-रघुनाथ
शाह
आदि 1857
के
अमर
रणबाँकुरों
पर
विशेष
चित्रकथाओं
का
प्रकाशन
किया
जायेगा।
रेडियो
कार्यक्रम
'वतन
का
राग'
के
माध्यम
से
आजादी
के
यादगार
तराने
देश-प्रदेश
में
गुंजायमान
हो
रहे
हैं।
साथ
ही,
आजादी
की
संघर्ष-कथाओं
पर
केन्द्रित
रेडियो
कार्यक्रम
'हिन्दोस्तां
हमारा'
शीघ्र
ही
आरम्भ
हो
जायेगा।
प्रदेश
का
तीव्र
विकास
मेरी
सरकार
की
प्रतिबद्धता
है।
अधोसंरचना
के
लिए
सड़क,
बिजली
तथा
सिंचाई
के
क्षेत्र
में
राज्य
सरकार
ने
तेजी
से
काम
किया
है।
खेती
को
लाभ
का
व्यवसाय
बनाना,
महिला
सशक्तीकरण,
औद्योगिक
विकास,
ग्रामीण
विकास,
शिक्षा
तथा
स्वास्थ्य
सुविधाओंं
के
विस्तार
के
साथ-साथ
किसानों,
वनवासियों,
अनुसूचित
जातियों,
अल्पसंख्यकों,
संगठित
तथा
असंगठित
क्षेत्र
के
श्रमिकों,
शासकीय
कर्मचारियों
तथा
पेंशनरों,
शिक्षकों
एवं
पंचायत
कर्मियों
की
वर्षों
से
लंबित
समस्याओं
का
निराकरण
हमारी
प्राथमिकताएं
हैं
और इन
सभी
के
लिए
हमने
ठोस
कदम
भी
उठाए
हैं।
वर्तमान
शासनकाल
में
प्रदेश
में
लगभग
32000
किलोमीटर
लम्बाई
की
बेहतर
सड़कें,
लगभग
2400
मेगावाट
अतिरिक्त
विद्युत
उत्पादन
क्षमता,
लगभग
चार
लाख
हेक्टेयर
अतिरिक्त
सिंचाई
क्षमता
के
निर्माण
से
मध्यप्रदेश
की
पहचान
एक
तेजी
से
बढ़ते
हुए
प्रदेश
की
बनी
है।
सड़क,
बिजली
तथा
सिंचाई
योजनाओं
पर
आगामी
वर्षों
में
भी
बड़े
पैमाने
पर
काम
जारी
रहेगा।
आगामी
पंचवर्षीय
योजना
में
लगभग
8000
मेगावाट
उत्पादन
क्षमता
वृद्धि
करने
का
लक्ष्य
है।
इंदिरा
सागर
परियोजना
के
बाद
अब
ओंकारेश्वर
परियोजना
तथा
अमरकंटक
ताप
विद्युत
गृह
में
भी
विद्युत
उत्पादन
शुरू
हो
गया
है।
परियोजनाओं
के
डूब
क्षेत्र
में
प्रभावितों
तथा
विकास
योजनाओं
के
लिए
भूमि
देने
वाले
किसानों
के
योगदान
को
स्वीकार
करते
हुए
उन्हें
पर्याप्त
मुआवजे
की
व्यवस्था
की गई
है।
किसानों
को
प्राकृतिक
आपदा
में
राहत
राशि
की
दोगुनी
तक
वृद्धि,
शालेय
छात्र-छात्राओं
को नि:शुल्क
गणवेश,
पाठ्य
पुस्तकों
तथा
साईकिल
की
सुविधाओं
में
विस्तार,
प्राथमिक,
माध्यमिक
शालाओं
तथा
शासकीय
स्वास्थ्य
केन्द्रों
के
भवनों
का
निर्माण,
शासकीय
अस्पतालों
में
नि:शुल्क
दवाओं
की
बेहतर
आपूर्ति
जैसी
उपलब्धियां
भी
हमने
अर्जित
की
हैं।
शिक्षा
के
लोकव्यापीकरण
की
दिशा
में
सरकार
ने
प्रभावी
कदम
उठाये
हैं।
अब
आठवीं
तक के
सभी
एक
करोड़
12 लाख
बच्चों
को
मुफ्त
कताबें
दी जा
रही
हैं।
इसके
अलावा
55 लाख
बालिकाओं
को नि:शुल्क
गणवेश
दिये
गये
हैं।
अब
दूसरे
गाँव
के
स्कूल
में
नौवीं
कक्षा
की
पढ़ाई
करने
के
लिये
जाने
वाली
सभी
वर्ग
की
बालिकाओं
को
मुफ्त
साइकिलें
दी जा
रही
हैं।
अनुसूचित
वर्ग
की
बालिकाओं
को तो
मुफ्त
साइकिल
की
सुविधा
छठवीं
कक्षा
में
जाने
पर ही
मिल
रही
है।
'गाँव
की
बेटी
योजना'
के
अंतर्गत
प्रथम
श्रेणी
प्राप्त
करने
वाली
सभी
बालिकाओं
को
कॉलेज
की
पढ़ाई
के
लिये
पाँच
सौ
रुपये
प्रतिमाह
छात्रवृत्ति
दी जा
रही
है।
शाला
से
बाहर
रहने
वाले
गाँव
के
बच्चों
के
लिये
गैर-आवासीय
ब्रिज
कोर्स
शुरू
किया
गया
है और 96
हजार
से
अधिक
बच्चों
को
इसका
लाभ
मिला
है।
बेहतर
आर्थिक
प्रबंधन
के
कारण
हमने
पहले
के
मुकाबले
विकास
के
विभिन्न
क्षेत्रों
की
राशि
में
दोगुनी
वृद्धि
तक की
है।
राज्य
की
वित्तीय
स्थिति
के
सुधार
में
परिवहन,
आबकारी
खनिज,
वन,
वाणिज्यिक
कर
जैसे
सभी
विभागों
ने
लगातार
आय
बढ़ाकर
योगदान
दिया
है।
प्रदेश
में
आधारभूत
सुविधाओं
में
लगातार
विस्तार
से
औद्योगीकरण
में
तेजी
आई है
तथा
उद्योगों,
खाद्य
प्रसंस्करण
इकाइयों,
पर्यटन,
सूचना
प्रौद्योगिकी
एवं
उच्च
शिक्षा
के
क्षेत्र
में
निजी
पूंजी
निवेश
में
वृद्धि
हुई
है।
आज
देश
और
विदेश
के
उद्योगपति
और
निवेशक
प्रदेश
में
निवेश
के
लिए
उत्सुक
हैं।
राज्य
में
पूँजी
निवेश
आकर्षित
करने
के
लिए
इसी
साल
अक्टूबर
में
इन्दौर
में
ग्लोबल
इन्वेस्टर्स
समिट
का
आयोजन
किया
जा
रहा
है।
प्रदेश
में
सूक्ष्म,
लघु
तथा
मध्यम
उद्योग
विकास
अधिनियम
2006
प्रभावशील
हो
गया
है।
इसका
उद्देश्य
प्रतिस्पर्धात्मक
तरीके
से
लघु
एवं
मझौले
उद्यमों
की
उन्नति
और
विकास
में
मदद
करना
है।
राज्य
सरकार
ने
चुनाव
के
समय
किए
गए
वायदे
पूरे
किए
हैं।
किसानों
को
सहकारी
अल्पावधि
कृषि
ऋणों
की
ब्याज
दर
घटाकर
सात
प्रतिशत
की गई
है।
किसानों
तथा
कम
बिजली
खपत
वाले
उपभोक्ताओं
को
रियायती
दर पर
बिजली
दी जा
रही
है।
विद्युत
नियामक
आयोग
द्वारा
बढ़ाई
गई
विद्युत
दरों
का
बोझ
कमजोर
वर्गों
पर न
पड़े
इसके
लिए
सरकार
इस
वर्ष
विद्युत
कम्पनियों
को 617
करोड़
रूपए
का
अनुदान
देगी।
किसानों
के
लिए
खेत-तालाब
योजना
बहुत
लोकप्रिय
हुई
है।
बलराम
ताल
योजना
तथा
प्रत्येक
विधान
सभा
क्षेत्र
में
पांच
छोटी
सिंचाई
योजनाओं
का
कार्यक्रम
भी
किसानों
के
लिए
लाभकारी
साबित
हुआ
है।
निर्मित
सिंचाई
क्षमताओं
का
पूर्ण
उपयोग
करने
के
लिए
कमाण्ड
एरिया
विकसित
करने
के
कार्यक्रम
को
पुन:
आरम्भ
किया
गया
है।
राज्य
एवं
सम्भाग
स्तर
पर
समितियां
गठित
कर
उनके
माध्यम
से
सिंचाई
के
पानी
को
किसान
के
खेत
तक
पहुंचाने
के
कार्य
को
सम्पन्न
किया
जावेगा।
अनेक
वर्षों
से
अधूरी
पड़ी
सिंचाई
योजनाओं
को
पूरा
किया
गया
है।
प्रदेश
में
स्थापित
उद्वहन
सिंचाई
योजनाओं
के
संधारण
और
संचालन
का
दायित्व
पुन:
जल
संसाधन
विभाग
के
हाथ
में
देने
का
निर्णय
लिया
गया
है
जिसके
कारण
एक
लाख
हेक्टेयर
भूमि
में
सिंचाई
का जल
पुन:
पहुंचाया
जा
सकेगा।
बैलगाड़ी
पर
अनुदान
की
योजना
भी
शुरू
की गई
है।
प्रत्येक
जिले
में
मिट्टी
प्रयोगशाला
स्थापित
की गई
है।
किसानों
को
उनकी
उपज
का
लाभकारी
मूल्य
सुनिश्चित
करने
तथा
उद्यानिकी
के
विकास
के
लिए
खाद्य
प्रसंस्करण
इकाइयों
को
बढ़ावा
दिया
जा
रहा
है।
बीस
जिलों
में
उद्यानिकी
मिशन
शुरू
किया
गया
है।
इस
उद्देश्य
से
भोपाल
में
राष्ट्रीय
एग्री
बिजनेस
मीट
का भी
आयोजन
किया
गया।
किसानों
की
समस्याओं
के
स्थाई
समाधान
की
दिशा
में
कृषक
आयोग
का
गठन
किया
गया
है।
डीजल
पर
वेट
कम
किया
गया
है
तथा
अनाज-दलहन
पर
वेट
समाप्त
किया
गया
है।
'लाड़ली
लक्ष्मी-योजना'
तथा
गरीब
परिवारों
की
कन्याओं
के
विवाह
के
लिए
मुख्यमंत्री
कन्यादान
योजना
को
राष्ट्रीय
स्तर
पर
सराहा
गया
है।
आंगनवाड़ी
कार्यकर्ताओं,
शिक्षा
और
पंचायत
कर्मियों
को
बेहतर
पारिश्रमिक
एवं
सुविधाओं
के
साथ
ब्रम्हस्वरूप
समिति
की
सिफारिशों
पर
अमल
के
लिये
भी
राशि
उपलब्ध
कराई
गई
है।
बुन्देलखंड
के
नियोजित
विकास
की
दृष्टि
से
पृथक
प्राधिकरण
गठित
किए
जाने
का
निर्णय
लिया
गया
है।
स्वतंत्रता
के
आदर्शों
के
अनुरूप
समाज
में
आर्थिक-सामाजिक
रूप
से
पीछे
छूट
गए
वर्गों
के
कल्याण
की ओर
राज्य
सरकार
ने
विशेष
ध्यान
दिया
है।
आदिवासी
तथा
अनुसूचित
जाति
के
छात्र-छात्राओं
की
छात्रवृत्ति
में
वृद्धि
की गई
है।
पिछड़े
वर्गों
की
छात्र-छात्राओं
की
छात्रवृत्ति
में
भी
वृद्धि
की गई
है।
छात्रावासों,
आश्रमों
की
संख्या
बढ़ाने
के
साथ
इनमें
सुविधाओं
में
वृद्धि
की गई
है।
उच्च
शिक्षा,
प्रशासनिक
सेवाओं
में
भर्ती
के
लिए
प्रशिक्षण
तथा
विदेशों
में
शिक्षा
एवं
रोजगार
के
अवसर
बढ़ाने
के
लिए
इन
वर्गों
की
छात्र-छात्राओं
की
सुविधाओं
में
भी
वृद्धि
की गई
है।
महिला
सशक्तीकरण
की
दिशा
में
ठोस
प्रयास
करते
हुए
राज्य
सरकार
ने
पंचायतों
तथा
स्थानीय
निकायों
के
निर्वाचित
पदों
में
पचास
प्रतिशत
स्थान
महिलाओं
के
लिए
आरक्षित
किए
गए
हैं।
पुलिस
बल
में
महिलाओं
के
लिए
दस
प्रतिशत
आरक्षण
के
साथ
दुर्गावती
महिला
पुलिस
बटालियन
का
गठन
किया
जा
रहा
है।
तेरह
विकास
विभागों
की
योजनाओं
में
पचास
प्रतिशत
महिलाओं
को
लाभान्वित
किया
जाना
सुनिश्चित
करने
के
लिए
जेंडर
बजटिंग
की
शुरूआत
की गई
है।
गर्भवती
माताओं,
नवजात
शिशुओं
की
जीवन
रक्षा,
लिंग
अनुपात
में
संतुलन
लाने
तथा
महिलाओं
को
समाज
में
आगे
लाने
के
लिए
किए
गए
प्रयासों
के भी
अच्छे
परिणाम
मिलने
लगे
हैं।
सुरक्षित
प्रसव
के
लिए
प्रारम्भ
की गई
परिवहन
योजना
तथा
जननी
सुरक्षा
योजना
भी अब
काफी
लोकप्रिय
हो गई
है।
दीनदयाल
उपचार
योजना
के
तहत
नि:शुल्क
चिकित्सा
सुविधा
से
बड़ी
संख्या
में
जरूरतमंद
लोग
लाभान्वित
हो
रहे
हैं।
दीनदयाल
चलित
अस्पतालों
में
आदिवासी
बहुल
क्षेत्रों
में
लाखों
वनवासी
स्वास्थ्य
लाभ
ले
रहे
हैं।
गर्भवती
माताओं
तथा
नवजात
शिशुओं
के
कल्याण
के
लिए
आंगनवाड़ी
व्यवस्था
में
क्रांतिकारी
पारिवर्तन
किए
गए
हैं
तथा
उनकी
संख्या
भी
बढ़ाई
गई
है।
आंगनवाड़ियों
में
पौष्टिक
और
स्वादिष्ट
आहार
दिए
जाने
की
व्यवस्था
की गई
है।
समस्याओं
के
निराकरण
तथा
नीतियों
और
विकास
योजनाओं
के
निर्माण
के
लिए
संबंधित
वर्गों
से
संवाद
स्थापित
करने
के
लिए
मुख्यमंत्री
निवास
में
पंचायतों
का
आयोजन
शुरू
किया
गया
है।
अब तक
किसानों,
वनवासियों,
अनुसूचित
जाति
वर्ग
के
व्यक्तियों,
आदिवासियों,
महिलाओं,
कोटवारों
एवं
लघु
उद्यमियों
की
पंचायतों
का
सफलतापूर्वक
आयोजन
किया
गया
तथा
उनकी
समस्याओं
के
निराकरण
के
लिए
ठोस
कदम
उठाए
गए
हैं।
चिकित्सकों,
वृद्धजनों
और
खिलाड़ियों
की
पंचायतों
का
आयोजन
भी
शीघ्र
किया
जायेगा।
जनता
से
सीधे
संवाद
तथा
विकास
योजनाओं
पर
अमल
की
मैदानी
स्थिति
जानने
के
लिए
जनदर्शन
कार्यक्रम
शुरू
किया
गया
है।
विकास
योजनाओं
पर
निर्धारित
समयावधि
में
अमल
सुनिश्चित
करने
के
लिए 'मुख्यमंत्री
मानिट
सिस्टम'
के
अंतर्गत
विभागों
की
नियमित
समीक्षा
की जा
रही
है।
जनसमस्याओं
के
निबटारे
की
गति
बढ़ाने
के
लिए
टेलीकांफ्रेंसिंग
द्वारा
'समाधान
आन
लाइन'
कार्यक्रम
सफलतापूर्वक
जारी
है।
सुराज
मिशन
के इन
प्रयासों
के
साथ
जिलों
में
लोक
कल्याण
शिविरों
का
आयोजन
किया
जा
रहा
है।
जिला
कार्यालयों
में 'समाधान
एक
दिन
में'
सुविधा
केंद्र
से
निर्धारित
काम
एक
दिन
में
करने
की भी
शुरूआत
की गई
है।
प्रशासनिक
सुधार
के
लिए
वरिष्ठ
अधिकारियों
की
मंथन
कार्यशाला
की
सिफारिशों
पर
अमल
के भी
अच्छे
परिणाम
मिले
हैं।
इससे
प्रशासनिक
सुधार
के
प्रयासों
में
गति
आई
है।
शासकीय
सेवाओं
में
भर्ती
पर
प्रतिबंध
को
शिथिल
किया
गया
है।
मध्यप्रदेश
ग्रामीण
रोजगार
गारंटी
योजना
को
प्रदेश
में
प्रभावी
ढंग
से
लागू
किया
जा
रहा
है।
वर्ष
07-08 के
लिए 13
और नए
जिले
जोड़े
गये
हैं।
प्रधानमंत्री
ग्रामीण
सड़क
योजना
में
भी हम
देश
के
अग्रणी
राज्य
हैं।
प्रधानमंत्री
ग्रामीण
सड़क
के
मानदण्ड
के
अनुसार
प्रदेश
के 2574
गांव
ऐसे
हैं
जो
मुख्य
मार्ग
से 500
मीटर
दूरी
पर
स्थित
हैं,
लेकिन
वे
मुख्य
मार्ग
से
नहीं
जोड़े
जा
सकते।
इन
गांवों
को
राज्य
सरकार
ने
बारहमासी
सड़कों
से
जोड़ने
का
निर्णय
लिया
है।
जवाहरलाल
नेहरू
अर्बन
रिन्यूअल
मिशन
में
इन्दौर,
भोपाल,
जबलपुर
एवं
उज्जैन
शामिल
किये
गये
हैं।
वर्ष
2006-07 में
इस
योजना
में 254
करोड़
का
प्रावधान
था।
वर्ष
07-08 में
इस
योजना
के
क्रियान्वयन
हेतु 297
करोड़
के
प्रावधान
से
उक्त
शहरों
में
अधोसंरचना
का
विकास
किया
जायेगा।
छोटे
एवं
मध्यम
शहरों
की
गंदी
बस्तियों
में
मूलभूत
अधोसंरचना
संबंधी
कार्य
एकीकृत
आवास
और
गंदी
बस्ती
विकास
योजना
के
अंतर्गत
किए
जा
रहे
हैं।
प्रदेश
के
प्रमुख
शहरों
में
पेयजल
आवश्यकता
की
पूर्ति
एवं
पर्यावरण
सुधार
हेतु
भारत
सरकार
के
माध्यम
से
एशियाई
विकास
बैंक (एडीबी)
से
नगरीय
निकायों
के
लिए
वित्तीय
सहायता
प्राप्त
कर 1366
करोड़
रुपये
की
एडीबी
परियोजना
क्रियान्वित
की जा
रही
है।
इस
योजना
के
क्रियान्वयन
हेतु
भोपाल,
इंदौर,
ग्वालियर
एवं
जबलपुर
शहरों
को
चुना
गया
है।
वर्ष
2006-2007 से
सफाई
कामगारों
के
लिए
समूह
बीमा
योजना
में
सफाई
कामगारों
की
सामान्य
रूप
से
मृत्यु
होने
पर 25
हजार
रुपये
तथा
दुर्घटना
में
मृत्यु
होने
पर 50
हजार
रुपये
नामित
व्यक्ति
को
देने
का
प्रावधान
किया
गया
है।
प्रदेश
के 48
जिलों
में 93515
फेरी
वालों
का
सर्वेक्षण
किया
गया
है,
जिनमें
से 70640
फेरी
वालों
को
पहचान
पत्र
जारी
किये
गये
हैं।
शहरी
फेरी
वाले
व्यवसाइयों
को
व्यवस्थित
करने
के
लिए
प्रदेश
में 986
हाकर्स
जोन
तथा
कार्नर्स
विकसित
करने
का
प्रस्ताव
है।
हम
निर्माण
कार्यों
में
लगे
असंगठित
मजदूरों
और
खेतिहर
मजदूरों
के
लिये
भी एक
बड़ी
योजना
शुरू
करने
जा
रहे
हैं।
मध्यप्रदेश
श्रम
कर्मकार
मण्डल
में
पंजीकृत
मजदूरों
को
इसका
लाभ
मिलेगा।
योजना
के
अंतर्गत
मजदूरों
के
बेटे-बेटियों
को
पढ़ाई
की
सुविधा,
मुफ्त
इलाज,
महिला
मजदूरों
को
प्रसूति
के
बाद
बिना
काम
पर
गये 45
दिनों
की
मजदूरी
और
उसके
पति
को 15
दिनों
की
मजदूरी
दी
जायेगी।
शिल्पियों
के
लिये
भी
बीमा
योजना
शुरू
की
जायेगी।
इसके
अंतर्गत
शिल्पी
की
मृत्यु
होने
पर
उसके
परिवार
को एक
लाख
रुपये
ओर
बीमार
होने
पर 15
हजार
रुपये
इलाज
के
लिये
दिये
जायेंगे।
प्रदेश
के
खेल
बजट
में
पहली
बार
चार
गुना
वृद्धि
की गई
है।
संस्कृति
और
साहित्य
के
क्षेत्र
में
दिए
जाने
वाले
राष्ट्रीय
और
प्रादेशिक
स्तर
के
सम्मान
की
राशि
में
बढ़ोत्तरी
की
जाएगी।
इंदौर,
भोपाल,
ग्वालियर
में
सूचना
प्रौद्योगिकी
पार्कों
की
स्थापना
की जा
रही
है।
सूचना
प्रौद्योगिकी
के
उपयोग
से
जिला
कार्यालयों,
मंडियों,
वाणिज्यिक
कर,
परिवहन,
ग्रामीण
विकास
तथा
कृषि
विभाग
द्वारा
नागरिकों
को
बेहतर
सुविधाएं
दी जा
रही
हैं।
मैं
प्रदेश
के
नागरिकों
का
आह्वान
करता
हूं
कि वे
प्रदेश
को
विकास
की
नयी
ऊँचाइयों
तक ले
जाने
के
लिए
अपनी
सम्पूर्ण
ऊर्जा
का
उपयोग
करें।
ये
राष्ट्र
के
निर्माण
और
नवोत्थान
के
क्षण
हैं।
जयशंकर
प्रसाद
के
शब्दों
को
दुहराते
हुए
मैं
आप
सभी
से
यही
कहना
चाहूंगा
:
अर्मत्य
वीर
पुत्र
हो,
दृढ़
प्रतिज्ञ
सोच
लो,
प्रशस्त
पुण्य
पन्थ
है-बढ़े
चलो!
बढ़े
चलो!
जय
मध्यप्रदेश
जयहिन्द